सांवरे एक तू ही तो आस है सांवरे

सांवरे एक तू ही तो आस है सांवरे तुझपे ही विश्वाश है

मझदार फसी नैया बड़ी दूर किनारा है,
एक तू ही आ के राख हारे का सहारा है
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वाश है।

जिनको समझा अपना वो काम नही आये,
अब तेरे बिन बाबा मुझे कौन बताये,
मेरी जीवन नैया का तू पालन हारा है,
एक तुही आ तेरा हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वाश है।

विश्वाश अटल मेरी नैया ना डोलेगी,
दर भाव भरा हृदय मूरत भी बोलेगी,
दीनो में पुकारा है तू बना सहारा है,
एक तू ही आ तेरा हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वाश है।

दुनिया में नाम तेरा सुन कर मैं भी आया,
हारे का साथी है सबने ये बतलाया,
के एमबी हार रहा तो तुझे पुकार रहा,
एक तू ही आ तेरा हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वाश है। 


सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति एक हारे हुए भक्त की करुण पुकार और अटल विश्वास का भाव उभरता है। यह ऐसा है, जैसे कोई मझधार में फँसी नैया का नाविक अपने एकमात्र सहारे को पुकार रहा हो। भक्त का यह कहना कि सांवरे ही उसकी एकमात्र आस और विश्वास हैं, उस गहरे भरोसे को दर्शाता है, जैसे कोई अपने सबसे बड़े रक्षक पर पूरा यकीन रखता हो।

जिन्हें भक्त ने अपना समझा, वे काम नहीं आए, लेकिन श्रीकृष्णजी को वह अपना पालनहार मानता है। यह भाव है, जैसे कोई दुनिया की ठोकरों से थककर अपने प्रिय के पास शरण माँगता हो। मझधार में फँसी नैया और दूर किनारे का जिक्र उस जीवन की मुश्किलों को दर्शाता है, जहाँ सांवरे की कृपा ही एकमात्र रास्ता है।

विश्वास की अटलता और मूरत के बोलने का भाव उस गहरी भक्ति को प्रकट करता है, जो भक्त को यह यकीन देता है कि श्रीकृष्णजी उसकी पुकार सुनेंगे। यह ऐसा है, जैसे कोई अपने गुरु की मूरत में ही जीवंत शक्ति देखता हो। दुनिया में सांवरे का नाम सुनकर भक्त का उनके पास आना और उन्हें हारे का साथी मानना उस अटूट रिश्ते को दर्शाता है, जैसे कोई अपने सच्चे दोस्त को हर मुश्किल में साथ पाता हो।
 
Next Post Previous Post