जंग तो चंद रोज होती है जिन्दगी

जंग तो चंद रोज होती है जिन्दगी बरसों तलक रोती है

जंग तो चंद रोज होती है , जिन्दगी बरसों तलक रोती है
बारूद से बोझल सारी फिज़ा, है मोत की बू फैलाती हवा
जख्मों पे है छाई लाचारी, गलियों में है फिरती बीमारी
ये मरते बच्चे हाथों में, ये माओं का रोना रातों में
मुर्दा बस्ती मुर्दा है नगर, चेहरे पत्थर हैं दिल पत्थर
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
मुझे से तुझ से, हम दोनों से, सुन ये पत्थर कुछ कहते हैं
बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये

सन्नाटे की गहरी छाँव, ख़ामोशी से जलते गाँव
ये नदियों पर टूटे हुए पुल, धरती घायल और व्याकुल
ये खेत ग़मों से झुलसे हुए, ये खाली रस्ते सहमे हुए
ये मातम करता सारा समां, ये जलते घर ये काला धुआं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
मुझे से तुझ से, हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं
बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाए

मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
चेहरों के, दिलों के ये पत्थर, ये जलते घर
बर्बादी के सारे मंजर, सब तेरे नगर सब मेरे नगर, ये कहते हैं
इस सरहद पर फुन्कारेगा कब तक नफरत का ये अजगर
हम अपने अपने खेतो में, गेहूँ की जगह चावल की जगह
ये बन्दूके क्यों बोते हैं
जब दोनों ही की गलियों में, कुछ भूखे बच्चे रोते हैं
आ खाएं कसम अब जंग नहीं होने पाए
ओर उस दिन का रस्ता देंखें,
जब खिल उठे तेरा भी चमन, जब खिल उठे मेरा भी चमन
तेरा भी वतन मेरा भी वतन, मेरा भी वतन तेरा भी वतन
मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरे हमसाये

(Border) Mere Dushman Mere Bhai : Hariharan | Hindi Song | Sunny Deol | मेरे दुश्मन मेरे भाई

“जंग तो चंद रोज होती है, जिंदगी बरसों तलक रोती है” एक गहरा और भावपूर्ण गीत है, जो युद्ध की विनाशकारी प्रकृति और उसके बाद की पीड़ा को उजागर करता है। यह ऐसा है, जैसे कोई मानवता की पुकार के साथ दुश्मन और दोस्त को एक ही मेज पर बुलाकर शांति की बात कर रहा हो। गीत की हर पंक्ति युद्ध की भयावहता और उसके स्थायी दुखों को चित्रित करती है, जैसे कोई चित्रकार बर्बादी के मंजर को कैनवास पर उतार रहा हो।

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बारूद की गंध, जख्मों की लाचारी, और गलियों में फैली बीमारी का जिक्र युद्ध की क्रूरता को दर्शाता है, जैसे कोई अपनी आँखों देखा हाल बयान कर रहा हो। मरते बच्चे, माओं का रातों में रोना, और मुर्दा बस्तियों का चित्रण उस दर्द को जीवंत करता है, जो युद्ध पीछे छोड़ जाता है। यह भाव है, जैसे कोई अपने घर की तबाही देखकर टूटा हुआ दिल लिए पुकार रहा हो।

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