तेरे दर पर सर झुकाया भजन

तेरे दर पर सर झुकाया भजन

तेरे दर पर सर झुकाया,
तुझे दुख में हम पुकारे हैं,
बस जी रहे हैं बाबा,
तेरे नाम के सहारे,
तेरे दर पर सर झुकाया,
तुझे दुख में हम पुकारे हैं।

रहने दो मुझको बाबा,
चरणों के पास अपने,
जीवन गुजार दूंगा,
सेवा में मैं तुम्हारी,
तेरे दर पर सर झुकाया,
तुझे दुख में हम पुकारे हैं।

दुनिया की मोह माया,
घेरे हैं मुझको आकर,
इस दुख से मेरे बाबा,
तू ही मुझे उबारे ,
तेरे दर पर सर झुकाया,
तुझे दुख में हम पुकारे हैं।

इक आस कर दो पूरी,
तुम मेरी मेरे बाबा,
बंदा तड़प रहा है,
दर्शन बिना तुम्हारे,
तेरे दर पर सर झुकाया,
तुझे दुख में हम पुकारे हैं।


तेरे दर पे सर झुकाया...सुरेश शर्मा

सुंदर भजन में इष्ट प्रति एक भक्त की गहरी भक्ति और उनके चरणों में शरण माँगने का भाव उभरता है। यह ऐसा है, जैसे कोई दुनिया की ठोकरों से थककर अपने प्रिय के दर पर सर झुकाकर सारी पीड़ा भूल जाना चाहता हो। भक्त का यह कहना कि वह बाबा के नाम के सहारे जी रहा है, उस अटल विश्वास को दर्शाता है, जैसे कोई अपने सबसे बड़े सहारे पर पूरा भरोसा रखता हो।

चरणों के पास रहने और उनकी सेवा में जीवन गुजारने की इच्छा उस समर्पण को प्रकट करती है, जैसे कोई अपने गुरु की छत्रछाया में ही सारा जीवन बिताना चाहता हो। दुनिया की मोह-माया से घिरे होने और उससे उबारने की पुकार उस दुख को जाहिर करती है, जो भक्त को श्रीकृष्णजी के दर पर लाता है, जैसे कोई अपने रक्षक से मुक्ति की गुहार लगाए।

यह भजन भी देखिये

Next Post Previous Post