श्रंगार सांवरिया का भजन

श्रंगार सांवरिया का भजन

श्रंगार सांवरिया लागे ये प्यारा है,
देख के प्यार से मुस्करा दीजिये,

लगती काजल की कोरें, काली घटा,
मन को भाने लगी तेरी, प्यारी छटा,
है रूप तेरा प्यारा प्यारा,
जो मोह लेता है जग सारा,
देख के प्यार से मुस्करा दीजिये.

चमके कानों में कुंडल दिनकर से,
सारी ले लू बलाएँ मैं जी भर के,
नजर कहीं न लग जाये
सोहना सा मुखड़ा मन भाये,
देख के प्यार से मुस्करा दीजिये.

न्यारा जग में तेरा ये सिंगार है,
प्यारा फूलो में बैठा वो दातार है,
माही को रूप तेरा भाये,
तन्नू तेरी महिमा गाये,
देख के प्यार से मुस्करा दीजिये.

सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी के सांवरिया रूप के आकर्षक श्रृंगार और उनकी मनमोहक छवि का रमणीय चित्रण है। सांवरिया का काजल सजी काली घटा सी आँखें, कानों में चमकते कुंडल और फूलों में सजा उनका रूप हृदय को मोह लेता है। यह श्रृंगार इतना प्यारा है कि सारा जग उसमें खो जाता है, जैसे चाँद की चांदनी रात को रंग देती है। भक्त उनकी सुंदरता पर बलिहार जाकर प्रेम भरी मुस्कान की याचना करता है। यह उद्गार सिखाता है कि प्रभु का रूप न केवल आँखों को सुकून देता है, बल्कि मन को भक्ति के रस में डुबो देता है।

सांवरिया का सोहना मुखड़ा इतना मनमोहक है कि भक्त नजर लगने से डरता है और उनकी सारी बलाएँ लेने को तैयार है। उनका न्यारा श्रृंगार और दातार स्वरूप जग में अनुपम है, जो भक्त के तन-मन को भा जाता है। वह उनकी महिमा गाकर और प्रेम से निहारकर आनंदित होता है। जैसे फूलों की सुगंध हर दिशा को महकाती है, वैसे ही सांवरिया का श्रृंगार और उनकी मुस्कान भक्त के हृदय को प्रेम और शांति से भर देती है। यह भाव दर्शाता है कि प्रभु की सुंदरता और कृपा में डूबकर भक्त सांसारिक मोह से मुक्त हो जाता है।

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