तमन्ना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे

तमन्ना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे

तमन्ना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे,
रुके सांस जब भी चरण हो तुम्हारे,

है बेजान सूनी ये दुनिया की महफ़िल,
तेरा नाम साँचा जो दिल से पुकारे,
तमन्ना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे.

है मेरी ख़ुशी से न खुश ज़माना,
पकड़ हाथ मेरा लगा दे किनारे,
तमना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे

नजर की अनोखी इनायत तुम्हारी,
जो हो जाये तेरा मिटे कष्ट सारे,
तमन्ना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे.

ये विनती करू मैं न ठाकुर भुलाना,
क़र्ज़ दार वर्मा तनिक जो निहारे,
तमन्ना ये दिल की मेरी श्याम प्यारे.


सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी, श्याम प्यारे के प्रति भक्त की गहन तमन्ना और उनके चरणों में समर्पण की मार्मिक अभिव्यक्ति है। भक्त की एकमात्र चाह है कि जब उसकी सांस रुके, वह श्याम के चरणों में हो। यह दुनिया बेजान और सूनी है, पर श्याम का नाम सच्चे दिल से पुकारने से हृदय जीवंत हो उठता है। जैसे एक प्यासा जल पाकर तृप्त होता है, वैसे ही श्याम का स्मरण भक्त को जीवन का सार देता है। यह उद्गार सिखाता है कि सच्ची भक्ति प्रभु के प्रेम में डूबकर सांसारिक माया से मुक्ति पाने में है।

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