(मुखड़ा) हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो, जगा दो सात स्वर मेरे, माँ, इतना तो करम कर दो, हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो।।
(अंतरा) तेरी आराधना से माँ, हो पूरी साधना मेरी,
गुरु का नाम लेकर के, माँ, करता वंदना तेरी, जिधर हों माँ चरण तेरे, उधर मेरा ये सिर कर दो, हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो।।
(अंतरा) मिले वरदान माँ तेरा, मुझे संगीत आ जाए, जगा दो स्वर की ज्योति माँ,
Saraswati Mata Bhajan
मुझे सब गीत आ जाए, मुझे सुर ताल ना भूले, वो रहमत की नज़र कर दो, हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो।।
(अंतरा) जो छेड़े तार वीणा के, मेरी आवाज़ बन जाए, तेरा गुणगान करने का, मुझे अंदाज़ आ जाए,
कभी सुर ताल ना भूलूँ, माँ, इतना तुम रहम कर दो, हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो।।
(पुनरावृत्ति) हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो, जगा दो सात स्वर मेरे, माँ, इतना तो करम कर दो, हे वीणा धारणी मैया, मेरी नस नस में स्वर भर दो।।
AI VEENA DHARNI MAIYA | HARBANS LAL BANSI | mata ki bhente | mata ke bhajan | mata ke song | Ambe
माँ शारदा, वीणा धारणी, की कृपा वह संगीत है, जो आत्मा को सात स्वरों की ज्योति से भर देती है। भक्त की यह पुकार है कि माँ अपनी आराधना से साधना को पूर्ण करें, और गुरु के नाम के साथ उनके चरणों में सिर झुकाने की शक्ति दें। जैसे कोई संगीत का वरदान माँगता है, वैसे ही यह प्रार्थना है कि माँ की रहमत से सुर-ताल कभी न भूले, और उनकी वीणा के तारों से आवाज़ गुणगान का अंदाज़ बन जाए। यह भक्ति का रस है, जो मन को माँ के प्रेम में डुबो देता है, और हर नस में स्वर भरकर जीवन को उनकी स्तुति का गीत बना देता है। माँ की कृपा से ही संगीत की ज्योत जलती है, जो भक्त को सदा उनके चरणों में लीन रखती है।