श्री श्याम अखंड ज्योति भजन
श्री श्याम अखंड ज्योति भजन
एक गाय नित आय कर
देती दूध पिलाय
मगन होय पावस कर भारी
लुल लुल पूँछ हिलाय
साँझ ढले घर आय कर
नाही देती दूध
पाली जब निकालन बैठे
उछल के जावे कूद
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
हो...
अखंड ज्योत है अपार माया
श्याम देव की परबल छाया
श्याम..श्री श्याम..श्री श्याम...जय जय श्याम
श्याम..श्री श्याम..श्री श्याम...जय जय श्याम
पाली ने मन बात विचारी
गाय थी अच्छी और दुधारी
दूध क्यूँ नहीं हमको पिलावे
पास जाओ तो मारन आवे
इक दिन पीछा पाली कीन्हा
गाय ने दूध क्यूँ नहीं दीन्हा
गाय देव के पास गयी है
मगन होय कर खड़ी हुई है
दूध की धार थनो से बहती
पीती है क्या यहाँ की धरती
दूध नहीं धरती पर देखा
हे ईश्वर यह क्या है लेखा
जाट कुलारे जाट कहावे
नगरी में जा भेद बतावे
नर नारी चल बाँध कतारे
क्या लीला है सभी पुकारे
गाय दूध जहाँ देवती
भीड़ लगी अपार
धरती बीच में
है कोई माया
कहते सब नर नार
धरती को खोदन लगे
ध्वनि हुई बलवान
मेरा शीश है देव अवतारी
कृष्णा का ये वरदान
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
देती दूध पिलाय
मगन होय पावस कर भारी
लुल लुल पूँछ हिलाय
साँझ ढले घर आय कर
नाही देती दूध
पाली जब निकालन बैठे
उछल के जावे कूद
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
हो...
अखंड ज्योत है अपार माया
श्याम देव की परबल छाया
श्याम..श्री श्याम..श्री श्याम...जय जय श्याम
श्याम..श्री श्याम..श्री श्याम...जय जय श्याम
पाली ने मन बात विचारी
गाय थी अच्छी और दुधारी
दूध क्यूँ नहीं हमको पिलावे
पास जाओ तो मारन आवे
इक दिन पीछा पाली कीन्हा
गाय ने दूध क्यूँ नहीं दीन्हा
गाय देव के पास गयी है
मगन होय कर खड़ी हुई है
दूध की धार थनो से बहती
पीती है क्या यहाँ की धरती
दूध नहीं धरती पर देखा
हे ईश्वर यह क्या है लेखा
जाट कुलारे जाट कहावे
नगरी में जा भेद बतावे
नर नारी चल बाँध कतारे
क्या लीला है सभी पुकारे
गाय दूध जहाँ देवती
भीड़ लगी अपार
धरती बीच में
है कोई माया
कहते सब नर नार
धरती को खोदन लगे
ध्वनि हुई बलवान
मेरा शीश है देव अवतारी
कृष्णा का ये वरदान
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
सुंदर भजन में गाय के माध्यम से श्री श्याम की दिव्य महिमा और भक्ति का गहरा उद्गार व्यक्त होता है। गाय का रोज़ दूध देना और साँझ को दूध न देना एक रहस्यमयी लीला की ओर इशारा करता है। पाली जब गाय का पीछा करता है, तो देखता है कि वह श्री श्याम के पास मगन होकर दूध अर्पित कर रही है। यह भक्ति की उस अवस्था को दर्शाता है, जहाँ भक्त अपना सर्वस्व प्रभु को समर्पित कर देता है। धरती खोदने पर श्री श्याम का शीश प्रकट होता है, जो श्रीकृष्णजी की कृपा और उनके अवतार का प्रतीक है। यह विश्वास दिलाता है कि प्रभु की माया हर जगह मौजूद है और सच्ची भक्ति में उनका साक्षात्कार होता है। जीवन की चुनौतियाँ भी उनकी लीला का हिस्सा हो सकती हैं, और सच्चा भक्त हर परिस्थिति में उनकी कृपा को देखता है।