श्रीमद् भागवत पुराण की भजन
श्रीमद् भागवत पुराण की आरती
श्रीमद् भागवत पुराण की आरती, भक्ति और श्रद्धा का एक दिव्य स्वरूप है, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनकी महिमा का गुणगान करती है। यह आरती भक्तों को श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण और उनके अमृतमय उपदेशों को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करती है। जब आरती के दीप जलते हैं और भजनों के मधुर स्वर गूंजते हैं, तो भक्तों के हृदय में एक अद्भुत ऊर्जा और आनंद की अनुभूति होती है।
महापुराण भागवत निर्मल |
शुक-मुख-विगलित निगम-कल्ह-फल ||
परमानन्द-सुधा रसमय फल |
लीला रति रस रसिनधान की || आरती०
कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी |
जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ||
सेवत सतत सकल सुखकारिणी |
सुमहैषधि हरि चरित गान की || आरती०
विषय विलास विमोह विनाशिनी |
विमल विराग विवेक विनाशिनी ||
भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी |
परम ज्योति परमात्मा ज्ञान को || आरती०
परमहंस मुनि मन उल्लासिनी |
रसिक ह्रदय रस रास विलासिनी ||
भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी |
कथा अकिंचन प्रिय सुजान की ||
आरती०
श्रीमद्भागवत महापुराण अत्यंत पवित्र ग्रंथ है, जो धर्म, भक्ति और ज्ञान का भंडार है। यह शुकदेव जी के मुख से निकला हुआ वेदों का कल्पवृक्ष फल है, जो परमानंद रूपी अमृत से परिपूर्ण है और भगवान की लीलाओं के रस का भंडार है। यह कलियुग के पापों को मथकर त्रिविध तापों (आधि, व्याधि, उपाधि) को दूर करने वाली है। जन्म-मृत्यु के चक्र से भयभीत जीवों के भय को हरने वाली और सतत सेवा करने पर सभी सुख प्रदान करने वाली है। यह भगवान के चरित्रों के गान के रूप में महान औषधि है।
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सुन्दर भजन में श्रीमद्भागवत महापुराण की महिमा और उसकी दिव्य कृपा का भाव प्रकाशित किया गया है। यह ग्रंथ केवल एक कथा संग्रह नहीं, बल्कि साक्षात् परमानंद की सुधा है, जिसमें ईश्वर के विराट स्वरूप, उनकी लीलाओं और भक्ति के सागर का अनुभव किया जाता है। यह भक्त के हृदय को शुद्ध करके उसे पापों से मुक्त करता है और जीवन में आध्यात्मिक प्रकाश का संचार करता है।
भागवत महापुराण केवल ज्ञान की धारा नहीं, बल्कि यह वह दिव्य अमृत है जो आत्मा को आनंदमय बनाता है। यह त्रितापों का निवारण करता है और जन्म-मृत्यु के भय से मुक्त कर, जीव को परमात्मा की शरण में स्थिर करता है। हरि कथा का रस अमृत के समान है, जिससे जीवन में दिव्यता आती है और मन सच्चे प्रेम और भक्ति से ओत-प्रोत हो जाता है।
इस भजन का भाव यह दर्शाता है कि भागवत महापुराण न केवल लौकिक विषयों से विमुक्त करता है, बल्कि यह आध्यात्मिक ज्ञान को प्रकाशित करके परम ज्योति से जोड़ता है। यह आत्मा को निर्मल करता है और उसे भुक्ति-मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है। इसमें ईश्वरीय प्रेम, भक्ति और सत्य का दर्शन होता है, जिससे साधक का हृदय उल्लास से भर जाता है।
भागवत कथा केवल एक उपदेश नहीं, बल्कि यह आत्मा की सबसे प्रिय साधना है। यह जीवन को सत्य, धर्म और आत्मज्ञान के सागर से जोड़कर उसे मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। श्रीमद्भागवत के पाठ से मन में सदैव प्रसन्नता और परमात्मा की निकटता का अनुभव होता है। यही इस भजन का गहन संदेश है—भक्ति के मार्ग पर चलकर ही जीवन में सच्चा सुख और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। ईश्वर की आराधना से ही आत्मा का उत्थान संभव है, और यही भागवत महापुराण का दिव्य सार है।
भागवत महापुराण केवल ज्ञान की धारा नहीं, बल्कि यह वह दिव्य अमृत है जो आत्मा को आनंदमय बनाता है। यह त्रितापों का निवारण करता है और जन्म-मृत्यु के भय से मुक्त कर, जीव को परमात्मा की शरण में स्थिर करता है। हरि कथा का रस अमृत के समान है, जिससे जीवन में दिव्यता आती है और मन सच्चे प्रेम और भक्ति से ओत-प्रोत हो जाता है।
इस भजन का भाव यह दर्शाता है कि भागवत महापुराण न केवल लौकिक विषयों से विमुक्त करता है, बल्कि यह आध्यात्मिक ज्ञान को प्रकाशित करके परम ज्योति से जोड़ता है। यह आत्मा को निर्मल करता है और उसे भुक्ति-मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है। इसमें ईश्वरीय प्रेम, भक्ति और सत्य का दर्शन होता है, जिससे साधक का हृदय उल्लास से भर जाता है।
भागवत कथा केवल एक उपदेश नहीं, बल्कि यह आत्मा की सबसे प्रिय साधना है। यह जीवन को सत्य, धर्म और आत्मज्ञान के सागर से जोड़कर उसे मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। श्रीमद्भागवत के पाठ से मन में सदैव प्रसन्नता और परमात्मा की निकटता का अनुभव होता है। यही इस भजन का गहन संदेश है—भक्ति के मार्ग पर चलकर ही जीवन में सच्चा सुख और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। ईश्वर की आराधना से ही आत्मा का उत्थान संभव है, और यही भागवत महापुराण का दिव्य सार है।
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Author - Saroj Jangir
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