थारी खूब है जान पहचान भजन
थारी खूब है जान पहचान भजन
थारी खूब है जान पहचान काम मेरो करवा दे,मानूंगा एहसान काम मेरो करवा दे.
थारी खूब है जान पहचान काम मेरो करवा दे,
मानूंगा एहसान काम मेरो करवा दे.
तू ही तो एमएलए मेरो तू ही मुख्यमंत्री,
नौकरी करूँगा थारी बन के संतरी,
युहीं घनों परेशान काम मेरो करवा दे,
थारी खूब है जान पहचान काम मेरो करवा दे,
मानूंगा एहसान काम मेरो करवा दे.
बड़े बड़े लोग थारे मंदिर में आवे,
राजा महाराजा तेरी चाकरी बचावे,
राख भक्त का मान काम मेरो करवा दे,
थारी खूब है जान पहचान काम मेरो करवा दे,
मानूंगा एहसान काम मेरो करवा दे.
दिनगाड़िया सुनील बाबा दर तेरे आवे,
दिनेश शेखावत महिमा गावे,
रोज करू गुण गान काम मेरा करवा दे,
तेरा मानुगा एहसान काम मेरा करवादे,
थारी खूब है जान पहचान काम मेरो करवा दे,
मानूंगा एहसान काम मेरो करवा दे.
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी, विशेष रूप से खाटू श्याम के रूप में, उनकी व्यापक पहचान और प्रभाव की महिमा का चित्रण है, जिसमें भक्त अपनी व्यथा उनके समक्ष रखकर सहायता की याचना करता है। भक्त श्याम बाबा को सर्वशक्तिमान मानता है, जो एमएलए से लेकर मुख्यमंत्री तक की भूमिका निभा सकते हैं, और वह उनसे नौकरी जैसे सांसारिक कार्य सिद्ध करने की प्रार्थना करता है। यह भाव हल्के-फुल्के अंदाज में व्यक्त हुआ है, जैसे एक मित्र से मजाक में मदद माँगी जाए, परंतु इसके मूल में गहरा विश्वास है कि श्याम बाबा की कृपा से हर बाधा दूर हो सकती है। यह उद्गार सिखाता है कि भक्ति में सरलता और विश्वास प्रभु के दर पर हर मनोकामना को पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
भक्त यह भी कहता है कि बड़े-बड़े लोग, राजा-महाराजा तक, श्याम के मंदिर में आते हैं और उनकी चाकरी करते हैं, जो उनकी अपार महिमा को दर्शाता है। वह अपनी भक्ति का भरोसा जताते हुए कहता है कि यदि बाबा उसका काम करवा दें, तो वह सदा उनका एहसान मानेगा। सुनील दिंगाड़िया और दिनेश शेखावत जैसे भक्तों का उनकी महिमा गाना और रोज गुणगान करने की बात भक्ति की निरंतरता को दर्शाती है। जैसे सूरज की किरणें हर कोने को रोशनी देती हैं, वैसे ही श्याम बाबा की कृपा भक्तों के जीवन को सुख और समृद्धि से भर देती है। यह भाव प्रदर्शित करता है कि प्रभु का दर वह स्थान है, जहाँ सच्चे मन से माँगा गया हर काम पूरा हो सकता है, और भक्त का हृदय कृतज्ञता से भर जाता है।
भक्त यह भी कहता है कि बड़े-बड़े लोग, राजा-महाराजा तक, श्याम के मंदिर में आते हैं और उनकी चाकरी करते हैं, जो उनकी अपार महिमा को दर्शाता है। वह अपनी भक्ति का भरोसा जताते हुए कहता है कि यदि बाबा उसका काम करवा दें, तो वह सदा उनका एहसान मानेगा। सुनील दिंगाड़िया और दिनेश शेखावत जैसे भक्तों का उनकी महिमा गाना और रोज गुणगान करने की बात भक्ति की निरंतरता को दर्शाती है। जैसे सूरज की किरणें हर कोने को रोशनी देती हैं, वैसे ही श्याम बाबा की कृपा भक्तों के जीवन को सुख और समृद्धि से भर देती है। यह भाव प्रदर्शित करता है कि प्रभु का दर वह स्थान है, जहाँ सच्चे मन से माँगा गया हर काम पूरा हो सकता है, और भक्त का हृदय कृतज्ञता से भर जाता है।
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