श्री
खाटू शाम बाबा के दरबार में दर्शनीय स्थल : श्री खाटू श्याम बाबा के
दरबार में मुख्य मंदिर में दर्शन के अलावा अन्य दर्शनीय स्थल भी है जिनके
दर्शन किये जाने चाहिए।
श्याम कुंड :
श्याम कुंड के बारे में मान्यता है की जहां बाबा का शीश जिस धरा पर
अवतरित हुआ था उस स्थान को श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। ऐसी
मान्यता है की श्याम कुंड में यदि कोई भक्त सच्चे मन से डुबकी लगाता है तो
उसके सारे पाप कट जाते हैं और बाबा का आशीर्वाद उसे प्राप्त होता है।
श्याम कुंड दो भागों में विभक्त है, महिला और पुरुष।
ऐसी
मान्यता है की श्री श्याम कुंड प्राचीन समय में रेत का टीला हुआ करता था।
उस टीले के आस पास इदा जाट की गायें चरने के लिए आया करती थी। टीले के
ऊपर के आक का पौधा भी था। टीले के पास आते ही गायें स्वतः ही दूध देने लग
जाती थी। इदा जाट रोज इस प्रक्रिया को देखता था। उसे इस बात का आश्चर्य
हुआ की गायें उस स्थान पर जाते ही कैसे दूध देने लगती हैं।
रात
को इडा जाट को स्वप्न में दिखाई दिया की वहां दूध पीने वाला कोई और नहीं
श्री श्याम ही हैं। श्री श्याम ने उससे कहा की राजा से कह कर उस स्थान की
खुदाई करवाओ तुम्हे उस स्थान पर में मिलूंगा जो कलयुग में श्याम बाबा के
नाम से पुकारे जाएंगे। अगले रोज राजा के कहने पर उस स्थान की मिटटी को
हटाया गया और वहां पर श्री श्याम बाबा की मूर्ति टीले से निकाली गयी। आज
मूर्ति की पूजा होती है और वहां जो कुंड बनाया गया उस कुंड को श्याम कुंड
के नाम से पुकारा जाता है। श्याम बगीची
खाटू श्याम जी मंदिर द्वार खुलने का समय
गर्मियों
में खाटू श्याम जी मंदिर सुबह 4:30 बजे खुलता है और दोपहर 1:00 तक खुला
रहता है। गर्मियों में शाम को 5:00 बजे मंदिर के पैट दुबारा खोले जाते हैं
और रात्रि 10:00 बजे बंद कर दिए जाते हैं । सर्दियों में समय प्रात: के
6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे और सांय 4:00 बजे से रात्रि 9 बजे तक का रहता
है।
खाटूश्यामजी की आरती का समय:
आरती शीतकाल ग्रीष्मकाल
मंगला आरती प्रात: 5.30 बजे प्रात: 4.30 बजे
श्रृंगार आरती प्रात: 8.00 बजे प्रात: 7.00 बजे
भोग आरती दोहपर 12.30 बजे दोपहर 12.30 बजे
संध्या आरती सांय 6.30 बजे सांय 7.30 बजे
शयन आरती रात्रि 9.00 बजे रात्रि 10.00 बजे
श्याम मंदिर खुलने का समय:
खुलने का समय बंद करने का समय
शीतकाल ( प्रात:) प्रात: 5.30 बजे दोपहर: 1.30 बजे
शीतकाल (दोपहर) सांय 4.30 बजे रात्रि 9:30 बजे
ग्रीष्मकाल( प्रात:) प्रात: 4.30 बजे दोपहर: 1.30 बजे
ग्रीष्मकाल (दोपहर) सांय 4.30 बजे रात्रि 10.00 बजे
क्यों कहते हैं श्री खाटू श्याम को "हारे का सहारा" : श्री खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है। इसके पीछे एक कहानी है। जब महाभारत युद्ध हो रहा था तब श्री बर्बरीक ने हारने वाले पक्ष की और से युद्ध में शामिल होने का निर्णय लिया। जब श्री कृष्ण को इसके बारे में पता चला तो उन्हें ये आभाष हो गया की यदि वीर बर्बरीक कौरवों के तरफ हो गए तो युद्ध का परिणाम बदल जायेगा।
श्री
कृष्ण ने युक्तिवश वीर बर्बरीक के तीरों को व्यर्थ में ही जाया कर दिया और
उनसे उनका शीश दान में मांग लिया। वीर बर्बरीक ने खुशीपूर्वक अपना शीश
श्री कृष्णा के चरणों में दान स्वरुप रख दिया। श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक की
इस भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान दिया की कलयुग में बर्बरीक को श्री श्याम
के नाम से घर घर में पूजा जाएगा और जो भी भक्त उनकी शरण में आएगा उसके दुःख
दर्द स्वंय श्री कृष्ण दूर करेंगे।
श्री
खाटू नगरी में श्याम बाबा का दरबार सजा है। दूर दूर ले भक्त श्री श्याम
बाबा की शरण में आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। महाभारत के
युद्ध में हारने वाले पक्ष की और से लड़ने के निर्णय के कारन ही श्री श्याम
बाबा को "हारे का सहारा" के नाम से जाना जाता है जो की पुरे विश्व में
विख्यात है।
हर
वर्ष होली के अवसर पर यहाँ मेला लगता है जहाँ पर देश के दूर दराज के
क्षेत्रों से लोग बाबा के दरबार में आते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं।
यहाँ पर लोग लंगर लगाते है और श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं, क्योंकी
मान्यता है की यहां पर सेवा करने से श्याम बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता
है। पैदल श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक होती है जिनके लिए मार्ग में
भंडारा और विश्राम की व्यवस्था श्याम बाबा के श्रद्धालु करते हैं।
श्री
श्याम कुंड के अलावा श्री श्याम बगीची भी प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक
हैं। श्री श्याम बगीची मुख्य मंदिर के दायी और स्थित है जहा पर उनके परम
भक्त आलू सिंह जी की प्रतिमा भी लगी हुयी है। आलू सिंह जी राजपूत परिवार से
थे और बाबा श्याम के परम भक्त थे। वे सुबह सुबह निकलते और आस पास के
क्षेत्रों से पुष्प इकठ्ठा करके बाबा श्याम का श्रृंगार करते तथा पुरे दिन
बाबा के भजन करते थे। आज भी आलू सिंह जी के वंशज ही मंदिर में पूजा का
कार्य करते हैं। श्याम बगीची में सुन्दर फूलों के पौधे और वृक्ष लगे हुए
हैं जिनका दृश्य काफी मनोरम है। श्री श्याम बगीची से ही नित्य फूलों को
लाकर श्री श्याम बाबा का श्रृंगार किया जाता है।