आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
मोर को मुकुट, भृकुटिन की मटक,
मन गयो री अटक याके पीरे पट पे, मत जईयो री।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे,
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
नन्द जू को छौना, देख धीरज धरो ना,
डारो ऐसो कछु टोना, नटवर नट ने, मत जईयो री।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे,
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
अरी छोड़ कुल लाज, गोपी गईं भाज भाज,
या मुरलिया को राज, बंसीबट पे, मत जईयो री।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे,
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
मोर को मुकुट, भृकुटिन की मटक,
मन गयो री अटक याके पीरे पट पे, मत जईयो री।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे,
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
नन्द जू को छौना, देख धीरज धरो ना,
डारो ऐसो कछु टोना, नटवर नट ने, मत जईयो री।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे,
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
अरी छोड़ कुल लाज, गोपी गईं भाज भाज,
या मुरलिया को राज, बंसीबट पे, मत जईयो री।
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे,
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे,
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे।
आज ठाडो री बिहारी यमुना तट पे by पूज्य गुरुदेव आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज
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