बरसे बुंदियाँ सावन की लिरिक्स

बरसे बुंदियाँ सावन की लिरिक्स Barase Bundiya Sawan Ki

बरसै बुंदियाँ सावन की,
सावन की मनभावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मन,
भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़ घुमड़ चहुं दिसि से आयो,
दामनि दमके झर लावन की।
बरसै बुंदियाँ सावन की,
सावन की मनभावन की।

नन्हीं नन्हीं बूंदन मेहा बरसै,
सीतल उपवन सोहावन की।
मीराके प्रभु गिरधर नागर,
आनंद मंगल गावन की।
बरसै बुंदियाँ सावन की
सावन की मनभावन की।।
 
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