बीत गये दिन भजन बिना रे बाल अवस्था खेल

संत कबीर दास जी के भजन "बीत गये दिन भजन बिना रे" में बताया गया है कि जीवन के दिन बहुत जल्दी बीत जाते हैं। अगर हम अपने जीवन में भजन-कीर्तन नहीं करते हैं, तो हमारे जीवन के दिन व्यर्थ हो जाते हैं। भजन-कीर्तन के माध्यम से हम अपने जीवन का उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

बीत गये दिन भजन बिना रे बाल अवस्था खेल

 
बीत गये दिन भजन बिना रे लिरिक्स Beet Gaye Din Bhajan Lyrics

 बीत गये दिन भजन बिना रे,
भजन बिना रे भजन बिना रे।

बाल अवस्था खेल गवायो,
जब यौवन तब मान घना रे,
बीत गये दिन भजन बिना रे,
भजन बिना रे भजन बिना रे।

लाहे कारण मूल गँवायो,
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे,
बीत गये दिन भजन बिना रे,
भजन बिना रे भजन बिना रे।

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
पार उतर गये संत जना रे,
बीत गये दिन भजन बिना रे,
भजन बिना रे भजन बिना रे।

बीत गये दिन भजन बिना रे,
भजन बिना रे भजन बिना रे।

Beet Gaye Din Bhajan Bina Re

कबीर की विचारधारा एक समग्र और व्यापक विचारधारा है, जो जीवन के सभी पहलुओं को कवर करती है।  कबीर एक निर्गुण भक्त थे, अर्थात् वे ईश्वर को किसी भी रूप या मूर्ति में नहीं मानते थे। वे ईश्वर को एक सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान सत्ता के रूप में मानते थे। कबीर के अनुसार, ईश्वर को केवल भक्ति और प्रेम के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
Next Post Previous Post