चरण कमल बंदौ हरी राई हिंदी मीनिंग
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लांघे,
अन्धे को सब कुछ दरसाई।
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई।
बहिरौ सुनै मूक पुनि बोलै,
रंक चलै सिर छत्र धराई।
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई।
सूरदास स्वामी करुनामय,
बार बार बन्दौतिः पायी।
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई
जाकी कृपा पंगु गिरि लांघे,
अन्धे को सब कुछ दरसाई।
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई।
बहिरौ सुनै मूक पुनि बोलै,
रंक चलै सिर छत्र धराई।
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई।
सूरदास स्वामी करुनामय,
बार बार बन्दौतिः पायी।
चरण कमल बंदौ हरी राई,
चरण कमल बंदौ हरी राई
भगवान की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, जैसे लंगड़ा व्यक्ति पर्वत लांघ सकता है, अंधे को सब कुछ दिखाई देने लगता है, बहरे सुनने लगते हैं और गूंगे बोलने लगते हैं। गरीब व्यक्ति भी राजसी वैभव प्राप्त कर सकता है। सूरदास जी भगवान को करुणामय कहते हुए बार-बार उनके चरण कमलों की वंदना करते हैं।
चरण कमल बंदौ हरी राई: मैं भगवान श्रीहरि के चरण कमलों की वंदना करता हूँ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लांघे: जिनकी कृपा से लंगड़ा व्यक्ति भी पर्वत पार कर सकता है।
अंधे को सब कछु दरसाई: जिनकी कृपा से अंधे व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देने लगता है।
बहिरौ सुनै मूक पुनि बोलै: जिनकी कृपा से बहरा व्यक्ति सुनने लगता है और गूंगा बोलने लगता है।
रंक चलै सिर छत्र धराई: जिनकी कृपा से गरीब व्यक्ति भी सिर पर छत्र धारण कर राजा के समान हो जाता है।
सूरदास स्वामी करुनामय: सूरदास जी कहते हैं कि मेरे स्वामी करुणामय हैं।
बार बार बंदौं तिहिं पाई: मैं बार-बार उनके चरणों की वंदना करता हूँ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लांघे: जिनकी कृपा से लंगड़ा व्यक्ति भी पर्वत पार कर सकता है।
अंधे को सब कछु दरसाई: जिनकी कृपा से अंधे व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देने लगता है।
बहिरौ सुनै मूक पुनि बोलै: जिनकी कृपा से बहरा व्यक्ति सुनने लगता है और गूंगा बोलने लगता है।
रंक चलै सिर छत्र धराई: जिनकी कृपा से गरीब व्यक्ति भी सिर पर छत्र धारण कर राजा के समान हो जाता है।
सूरदास स्वामी करुनामय: सूरदास जी कहते हैं कि मेरे स्वामी करुणामय हैं।
बार बार बंदौं तिहिं पाई: मैं बार-बार उनके चरणों की वंदना करता हूँ।
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Author - Saroj Jangir
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