होली खेला तेरे संग मैं ओ साँवरे लिरिक्स Holi Khela Tere Sang Lyrics

होली खेला तेरे संग मैं ओ साँवरे लिरिक्स Holi Khela Tere Sang Lyrics, Holi Krishna Bhajan / Holi Khela Tere Sang Main O Sanware

 
होली खेला तेरे संग मैं ओ साँवरे लिरिक्स Holi Khela Tere Sang Lyrics

होली खेला तेरे संग मैं ओ साँवरे,
पावां तेरे उत्ते, रंग मैं ओ साँवरे।

रंग गुलाल लेके थाली मैं सजाई है,
तेरे आवन दी मैं ता आस लगाई है,
मेरी गली विचो लंग वे ओ सांवरे,
होली खेलां तेरे संग मैं ओ साँवरे।

केहड़ी गल्लों दस मेथो दूर दूर रहना है,
सुणदा नहीं गल नाहियो मुहो कुझ कहंदा है,
तेरो चंगे नहियो ढंग वे ओ साँवरे
होली खेलां तेरे संग मैं ओ साँवरे

तेरी ही दीवानी मैं ता तेरे ही रंग रंगी आ,
जो भी हां मैं तेरी हां श्यामा,
चंगी आ या मंदी आ,
तू लगा ले मेनू अंग वे
होली खेलां तेरे संग मैं ओ साँवरे।

होली दे दिना च सारे खुशिया मनावंदे ने,
दास बैर भाव सारे दिल चो भुलांदे ने,
मन निकी जेहि, गल वे ओ साँवरे
होली खेलां तेरे संग मैं ओ साँवरे।

होली खेला तेरे संग मैं ओ साँवरे,
पावां तेरे उत्ते, रंग मैं ओ साँवरे।

होली खेला तेरे संग मैं ओ साँवरे,
पावां तेरे उत्ते, रंग मैं ओ साँवरे।



Holi Khela Tere Sang Ve || Best Krishna Bhajan 2016 || Sadhvi Purrnima Ji || Holi Song

 
श्री कृष्ण को साँवरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रंग गहरा भूरा या काला था। हिंदू धर्म में, कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। कृष्ण को एक आकर्षक और सुंदर व्यक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, लेकिन उनका रंग हमेशा गहरा रहा है।

कृष्ण के सांवले रंग के कई कारण हो सकते हैं। एक संभावना यह है कि कृष्ण वास्तव में एक सांवले रंग के व्यक्ति थे। यह भी संभव है कि उनके सांवले रंग को उनकी वीरता और शक्ति का प्रतीक माना जाता हो। कृष्ण को अक्सर एक योद्धा के रूप में चित्रित किया जाता है, और उनका सांवला रंग उन्हें एक मजबूत और शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है।

कृष्ण के सांवले रंग का एक अन्य संभावित कारण यह है कि उन्हें अक्सर भगवान शिव के साथ जोड़ा जाता है। शिव को अक्सर एक काले रंग के व्यक्ति के रूप में चित्रित किया जाता है, और कृष्ण को कभी-कभी शिव का अवतार माना जाता है। यह संभव है कि कृष्ण के सांवले रंग को शिव के साथ उनके संबंध का प्रतीक माना जाता हो।

अंततः, श्री कृष्ण को साँवरा क्यों कहा जाता है, इसका कोई एक सही उत्तर नहीं है। यह संभव है कि उनके सांवले रंग के कई कारण हों, जिनमें उनकी शारीरिक विशेषताएं, उनकी वीरता और शक्ति, और भगवान शिव के साथ उनका संबंध शामिल हैं।

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इस भजन में एक भक्त कृष्ण से होली खेलने की इच्छा व्यक्त कर रहा है। वह कृष्ण को "साँवरे" कहकर संबोधित करता है, जो कृष्ण के सांवले रंग का प्रतीक है। भक्त अपने घर में रंग और गुलाल सजाकर कृष्ण के आने की राह देख रहा है। वह कृष्ण से होली खेलने की बहुत उत्सुकता है।

भजन के दूसरे श्लोक में, भक्त कृष्ण की शिकायत करता है कि वह उसकी गली में नहीं आता है। वह कहता है कि कृष्ण उसे दूर से ही देखकर चला जाता है और उससे कुछ भी नहीं कहता। भक्त को कृष्ण के इस व्यवहार से दुख होता है।

तीसरे श्लोक में, भक्त कृष्ण से कहता है कि वह उसकी दीवानी है और उसके रंगों में रंग जाना चाहता है। वह कृष्ण से चाहता है कि वह उसे अपने रंगों से सजा दे, चाहे वह सुंदर हो या बदसूरत।

चौथे श्लोक में, भक्त कहता है कि होली का दिन खुशियों का दिन है। इस दिन सभी लोग जाति, धर्म, और ऊंच-नीच के भेदभाव को भूलकर एक साथ होली खेलते हैं। भक्त चाहता है कि कृष्ण भी इस दिन सभी लोगों के साथ होली खेलें और उनके दिलों में प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाएं।
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