मन मेरा रहता बेकरार मन मेरा रहता बेकरार भजन

मन मेरा रहता बेकरार मन मेरा रहता बेकरार भजन

तुझसे मिलने को,
मन मेरा रहता बेकरार
चैन कहीं ना पाऊं, लखदातार
तुझसे मिलने को,
मन मेरा रहता बेक़रार।

क्यो नहीं सुनते ,बाबा मेरी पुकार
थक गई अँखियाँ, करके इंतजार
यु ना सताओ मुझको,
अब ना तड़पाओ मुझको लखदातार,
तुझसे मिलने को,
मन मेरा रहता बेक़रार।

ना जाने कब तुमसे मिलना हो
ना जाने कब दर पे आना हो
दर पे बुलालो मुझको, रो रो के कँहु मैं तझको
मेरे सरकार,  तुझसे मिलने को,
मन मेरा रहता बेक़रार।

बिरह कि ये घड़िया तो खत्म करो,
रूबी रिदम पे कुछ तो रहम करो,
हम तेरी करे चाकरी,
भजनो की भरे
 

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