मेरे नैना बरस गए दर्शन को तरस गए
आया हूँ मैं तेरे दर पे,
खाली झोली लेके,
कर दे पूरी आशा मेरी,
दाता दर्श दिखा के।
मेरे नैना बरस गए,
दर्शन को तरस गए,
ओ भोले रे,
कब से बैठा हूँ दर्शन की,
मन में आस लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
ओ भोले रे,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिए।
मैं तुझको कैसे रिझाऊँ,
तू ही बता दे मुझको,
मुझे ना कुछ भी सूझे,
दिखा दे राह तू मुझ को,
तेरी चौखट पे आया हूँ,
बड़ा मन में विश्वास लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिये।
तोड़ के सबसे नाता,
तुम्ही से नाता जोड़ा,
तेरे दर पे आया हूँ,
मैं भोला दौड़ा दौड़ा,
मेरे मन मंदिर में जलते है,
तेरे नाम के नाथ दिये,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिये।
है रुखा रुखा जीवन,
प्रभु दो निर्मल छाया,
मुरादे लेकर मन की,
शरण में तेरी आया,
खड़ा हूँ मैं अरदास लिए,
बड़ा मन में विश्वास लिए,
खड़ा हूँ मैं अरदास लिए,
बड़ा मन में विश्वास लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिये।
मेरे नैना बरस गये,
दर्शन को तरस गये,
ओ भोले रे,
कब से बैठा हूं दर्शन की,
मन में आस लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
ओ भोले रे,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिए।।
खाली झोली लेके,
कर दे पूरी आशा मेरी,
दाता दर्श दिखा के।
मेरे नैना बरस गए,
दर्शन को तरस गए,
ओ भोले रे,
कब से बैठा हूँ दर्शन की,
मन में आस लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
ओ भोले रे,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिए।
मैं तुझको कैसे रिझाऊँ,
तू ही बता दे मुझको,
मुझे ना कुछ भी सूझे,
दिखा दे राह तू मुझ को,
तेरी चौखट पे आया हूँ,
बड़ा मन में विश्वास लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिये।
तोड़ के सबसे नाता,
तुम्ही से नाता जोड़ा,
तेरे दर पे आया हूँ,
मैं भोला दौड़ा दौड़ा,
मेरे मन मंदिर में जलते है,
तेरे नाम के नाथ दिये,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिये।
है रुखा रुखा जीवन,
प्रभु दो निर्मल छाया,
मुरादे लेकर मन की,
शरण में तेरी आया,
खड़ा हूँ मैं अरदास लिए,
बड़ा मन में विश्वास लिए,
खड़ा हूँ मैं अरदास लिए,
बड़ा मन में विश्वास लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिये।
मेरे नैना बरस गये,
दर्शन को तरस गये,
ओ भोले रे,
कब से बैठा हूं दर्शन की,
मन में आस लिए,
हे कैलाशी घट के वासी,
हे कैलाशी घट के वासी,
ओ भोले रे,
दर पे आया हूँ दर्शन की,
मन में प्यास लिए।।
श्री खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है। खाटू श्याम जी कथा का उल्लेख महाभारत की कथा में आता है। खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था और वे घटोत्कच के पुत्र थे। इनकी माता का नाम नाग कन्या मौरवी था। जन्म के समय बर्बरीक का शरीर मानो किसी बब्बर शेर के सामान विशाल काय था इसलिए निका नामकरण बर्बरीक कर दिया गया। बर्बरीक बाल्यकाल से ही शारीरिक शक्ति से भरे थे और शिव के महान भक्त थे। श्री शिव ने ही बर्बरीक की तपस्या से प्रशन्न होकर इन्हे ३ चमत्कारिक शक्तियां आशीर्वाद स्वरुप दी थी। ये तीन शक्तियां उनके बाण ही थे जो स्वंय श्री शिव ने उन्हें दिए थे। उनका दिव्य धनुष भगवान् अग्नि देव के द्वारा दिया गया था। कौरव पांडवो के युद्ध में बर्बरीक ने अपनी माँ का आशीर्वाद लेकर हारने वाले पक्ष की और से लड़ने तय किया जिसके कारन उन्हें हारे का हरीनाम से जाना जाता है।
Mere Naina Baras Gaye [Full Song] Bol Bum Bol Bum Shiv Ka Naam Japo Har Dam
