म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा लिरिक्स
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा Mhare Ghar Aao Pritam Pyara Meera Bhajan
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा, जग तुम बिन लागे खारातन-मन धन सब भेंट धरूँगी, भजन करूँगी तुम्हारा
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये, मोमें औगुण सारा
मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूँ, ये सब बगसण हारा
‘मीराँ’ कहे प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन नैण दुखारा
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये, मोमें औगुण सारा
मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूँ, ये सब बगसण हारा
‘मीराँ’ कहे प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन नैण दुखारा
Or
म्हाँरे घर आज्यो प्रीतम प्यारा तुम बिन सब जग खारा।
तन मन धन सब भेंट करूँ जो भजन करूँ मैं थाँरा।
तुम गुणवंत बड़े गुण सागर मैं हूँ जी औगणहारा॥
मैं त्रिगुणि गुण एक नाहीं तुझमें जी गुण सारा।
मीरा कहे प्रभु कबहि मिलोगे बिन दरसण दुखियारा॥
तन मन धन सब भेंट करूँ जो भजन करूँ मैं थाँरा।
तुम गुणवंत बड़े गुण सागर मैं हूँ जी औगणहारा॥
मैं त्रिगुणि गुण एक नाहीं तुझमें जी गुण सारा।
मीरा कहे प्रभु कबहि मिलोगे बिन दरसण दुखियारा॥
मीरा बाई के पद का हिंदी अर्थ
बाई मीरा श्री कृष्ण से विनय करती है की आप मेरे घर पर पधारो, आपके बगैर ये जगत/संसार मीठा नहीं लगता है, खारा (कड़वा) लगता है। मैं आपके ऊपर मेरा तन मन सभी समर्पित कर दूंगी और आपके ही भजन करुँगी। आप (श्री कृष्ण ) गुणवान हैं और आप ही गुण के सागर हैं। मैं गुणविहीन हूँ मुझमे सत्, रज, तम विकार हैं। आप में ही सभी गुण हैं, आप ही मेरे ईश्वर हैं, मैं तो निर्गुण हूँ, आप मुझे कब मिलोगे ?