सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरीगिरधारी थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
कुंकु पतरी रे श्याम प्रेम पतरी……
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
गिरधारी थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
कोई कहे राधा पति, कोई कहे रुकमणि पति
कोई कहे गोपियाँ रो श्याम, कैसे लिखूं कुंकुं पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
कोई कहे यशोदा रो, कोई कहे देवकी रो
कोई कहे नन्द जी रो लाल कैसे लिखूं कुंकुं पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
कोई कहे गोकुल वारो, कोई कहे मथुरा वारो
कोई कहे द्वारिका रो नाथ कैसे लिखूं कुंकुं पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
कोई कहे माखन चोर, कोई कहे नंदकिशोर
नरसिंग तो करे पुकार कैसे लिखूं कुंकुं पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
कोई कहे गइयां वालो, कोई कहे बंशी वालो
कोई कहे मदन गोपाल कैसे लिखूं कुंकुं पतरी
सांवरिया थारा नाम हज़ार कैसे लिखूं कुंकु पतरी
सांवरिया, गिरधारी, श्याम, नंदकिशोर, और मदन गोपाल जैसे अनेक नामों से पुकारे जाने वाले भगवान कृष्ण की महिमा को व्यक्त करने का प्रयास भक्त अपनी सीमित साधनों और भावनाओं के साथ करता है। कुंकु पतरी, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, उसमें प्रभु के हज़ारों नामों को समेटने की उत्कट इच्छा भक्त के मन की गहराई को उजागर करती है। यह भजन उस अनंत प्रेम को दर्शाता है, जो भक्त अपने इष्ट के प्रति अनुभव करता है, और वह चाहता है कि उसका हर भाव, हर शब्द, प्रभु के चरणों में समर्पित हो। यह एक ऐसी प्यास है जो भगवान के विभिन्न रूपों और लीलाओं को एक साथ आत्मसात करने की कोशिश करती है, परंतु भक्त की सीमित क्षमता उस अनंत को पूर्ण रूप से व्यक्त करने में असमर्थ रहती है।
प्रभु के विविध नाम और रूप—राधा के पति, रुक्मणी के स्वामी, यशोदा के लाल, गोकुल के नाथ, माखन चोर, बंशी वाले—ये सभी उनके अनगिनत गुणों और लीलाओं की झलक हैं, जो भक्तों के हृदय में अलग-अलग रूपों में बसते हैं। प्रत्येक नाम और प्रत्येक रूप एक विशेष भाव को जगाता है, जो भक्त को प्रभु के और निकट ले जाता है। गोकुल का चंचल बालक हो, मथुरा का शासक हो, या द्वारिका का नाथ, हर रूप में भगवान की लीला अनुपम और अनंत है।
प्रभु के विविध नाम और रूप—राधा के पति, रुक्मणी के स्वामी, यशोदा के लाल, गोकुल के नाथ, माखन चोर, बंशी वाले—ये सभी उनके अनगिनत गुणों और लीलाओं की झलक हैं, जो भक्तों के हृदय में अलग-अलग रूपों में बसते हैं। प्रत्येक नाम और प्रत्येक रूप एक विशेष भाव को जगाता है, जो भक्त को प्रभु के और निकट ले जाता है। गोकुल का चंचल बालक हो, मथुरा का शासक हो, या द्वारिका का नाथ, हर रूप में भगवान की लीला अनुपम और अनंत है।