श्री बमलेश्वरी चालीसा Shree Bamleshwari Chalisa In Hindi
जय जय जय विमले महारानी , तेरी माया जग नहीं जानी ।
मस्तक रजत मुकुट हैं राजे , बाँये अखण्ड ज्योति बिराजे । ।
मंगल , शनि होत अभिषेका , आरति , पूजन भांति अनेका ।
केहरि साक्षात् रखवाला , अति मंजुल रमणीक शिवाला ।
उच्चभंग तव आसन राजे , पंचवटी सम चहुं दिश साजे ।
चैत , क्वार में जलती ज्योति , पूरण आश भक्त की होती ।
श्रद्धा से जो ज्योति जलाता , नशे पाप वांछित फल पाता ।
दर्शन जो कर गये तुम्हारे , हुए मुदित पाये सुख सारे ।
कह ली तेरी कीर्ति बखानी , तू है रिद्ध सिद्ध जग जानी । ।
दृग से प्रेम विन्दु टपकाती , लाज भक्त की सदा बचाती ।
न पूजा न अर्चन आता , निश दिन नाम तुम्हारे गाता ।
बस एक ध्यान तुम्हारे चरणा , होउं प्रसीद अनन्ता करुणा ।
जो जन राठ करे इक बारा , शत अष्ट जपे इक बारा । ।
तू ही शारदा , चण्डी , काली , दुर्गा , अम्बे , जग रखवाली ।
शिवा , तुमी , पुण्या , विमला , गौरी दृक् प्रकाशिनी कमला । ।
भूतेशा सर्व तीर्थमयी हो , वर्ण रूपिणी शास्त्रमयी हो ।
जन पूजिता व शुभा भारती , गुणमध्या तव करत आरती ।
अशुभवा हो भूत धारणी , सूक्ष्मा कल्पा व नारायणी ।
कृष्या पिंगला निरालसा हो , जन प्रिया सर्व ज्ञान प्रदा हो ।
नित्या नंदा कमला रानी , सूक्ष्मा सर्व गता महारानी ।
सदा जया गुणश्रया शान्ता , कामाक्षी निर्गुणा कान्ता ।
दम्या सुजया वरूपिणी , शास्त्रा दृश्या विंध्यवासिनी ।
तुम्ही जान्हवी देवा माता , पार्वती हो जगविख्याता ।
भूतेशा मात्रा शुभ्रा हो , इन्द्रा जेष्ठा व रौद्रा हो ।
तुम्ही चण्डिका जया दुरन्ता , दया दात्री तुम्ही दिगन्ता । ।
दुराशया दुर्जया कराली , तुम्ही कामिनी लोक निराली । ।
दर युक्ता दर हरा वनीशा , दृष्टि गोचरा तुम्ही मनीशा ।
सर्व अभीष्ट प्रदायनी अम्बे , दशदिक्ख्याता हो जगदम्बे ।
तुम्ही हो माता श्रुति पूजिता , दीन वत्सला देव वन्दिता ।
दयाश्रया कर्मज्ञान प्रदा हो , दुष्कृति हरता तुम्ही सदा हो ।
सरस्वती हो दुष्ट दाहिनी , जनप्रिया हो रोग नाशिनी ।
असुरहरा हो तुम्ही दिगम्बा , तू ही मोह माया हो जगदम्बा ।
देवरता हो देवमान्या , अम्बुज वासिनी देवधान्या ।
भूतात्मिका तुम्ही रूद्रानी , उमा माधवी हो ब्रम्हानी ।
गहूं मैं शरण परम गति पाऊँ , करहुं कृतार्थ जनम गुण गाऊँ ।
नित उठ पाठ करै नर जोई , ताकर पूर्ण मनोरथ होई । ।
हर विपदा में होत सहाई , अधम जानि नहि देव भुलाई ।
नौव दिवस तक करे उपासा , मन में रखें धैर्य विश्वासा ।
नवरात्रि में ज्योति जलाये , श्रद्धा से जो पाठ कराये । ।
मुदित होयगी निश्चित माता , हरण करेगी तीनों तापा ।
। । दोहा । ।
दम्या दुर्लभ रूपिणी , ज्ञान रूपा तपस्विनी । ।
निराकारा योगगम्या , नमोऽस्तुते विलासिनी ।
मस्तक रजत मुकुट हैं राजे , बाँये अखण्ड ज्योति बिराजे । ।
मंगल , शनि होत अभिषेका , आरति , पूजन भांति अनेका ।
केहरि साक्षात् रखवाला , अति मंजुल रमणीक शिवाला ।
उच्चभंग तव आसन राजे , पंचवटी सम चहुं दिश साजे ।
चैत , क्वार में जलती ज्योति , पूरण आश भक्त की होती ।
श्रद्धा से जो ज्योति जलाता , नशे पाप वांछित फल पाता ।
दर्शन जो कर गये तुम्हारे , हुए मुदित पाये सुख सारे ।
कह ली तेरी कीर्ति बखानी , तू है रिद्ध सिद्ध जग जानी । ।
दृग से प्रेम विन्दु टपकाती , लाज भक्त की सदा बचाती ।
न पूजा न अर्चन आता , निश दिन नाम तुम्हारे गाता ।
बस एक ध्यान तुम्हारे चरणा , होउं प्रसीद अनन्ता करुणा ।
जो जन राठ करे इक बारा , शत अष्ट जपे इक बारा । ।
तू ही शारदा , चण्डी , काली , दुर्गा , अम्बे , जग रखवाली ।
शिवा , तुमी , पुण्या , विमला , गौरी दृक् प्रकाशिनी कमला । ।
भूतेशा सर्व तीर्थमयी हो , वर्ण रूपिणी शास्त्रमयी हो ।
जन पूजिता व शुभा भारती , गुणमध्या तव करत आरती ।
अशुभवा हो भूत धारणी , सूक्ष्मा कल्पा व नारायणी ।
कृष्या पिंगला निरालसा हो , जन प्रिया सर्व ज्ञान प्रदा हो ।
नित्या नंदा कमला रानी , सूक्ष्मा सर्व गता महारानी ।
सदा जया गुणश्रया शान्ता , कामाक्षी निर्गुणा कान्ता ।
दम्या सुजया वरूपिणी , शास्त्रा दृश्या विंध्यवासिनी ।
तुम्ही जान्हवी देवा माता , पार्वती हो जगविख्याता ।
भूतेशा मात्रा शुभ्रा हो , इन्द्रा जेष्ठा व रौद्रा हो ।
तुम्ही चण्डिका जया दुरन्ता , दया दात्री तुम्ही दिगन्ता । ।
दुराशया दुर्जया कराली , तुम्ही कामिनी लोक निराली । ।
दर युक्ता दर हरा वनीशा , दृष्टि गोचरा तुम्ही मनीशा ।
सर्व अभीष्ट प्रदायनी अम्बे , दशदिक्ख्याता हो जगदम्बे ।
तुम्ही हो माता श्रुति पूजिता , दीन वत्सला देव वन्दिता ।
दयाश्रया कर्मज्ञान प्रदा हो , दुष्कृति हरता तुम्ही सदा हो ।
सरस्वती हो दुष्ट दाहिनी , जनप्रिया हो रोग नाशिनी ।
असुरहरा हो तुम्ही दिगम्बा , तू ही मोह माया हो जगदम्बा ।
देवरता हो देवमान्या , अम्बुज वासिनी देवधान्या ।
भूतात्मिका तुम्ही रूद्रानी , उमा माधवी हो ब्रम्हानी ।
गहूं मैं शरण परम गति पाऊँ , करहुं कृतार्थ जनम गुण गाऊँ ।
नित उठ पाठ करै नर जोई , ताकर पूर्ण मनोरथ होई । ।
हर विपदा में होत सहाई , अधम जानि नहि देव भुलाई ।
नौव दिवस तक करे उपासा , मन में रखें धैर्य विश्वासा ।
नवरात्रि में ज्योति जलाये , श्रद्धा से जो पाठ कराये । ।
मुदित होयगी निश्चित माता , हरण करेगी तीनों तापा ।
। । दोहा । ।
दम्या दुर्लभ रूपिणी , ज्ञान रूपा तपस्विनी । ।
निराकारा योगगम्या , नमोऽस्तुते विलासिनी ।
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