श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो लिरिक्स Shri Vallabh Mere Man
श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो
ललना ओर न कछू सुहाय
नवजोबन व्रजभामिनी
नवसत साज सिंगार
प्रीतम सों खेलन चलीहो
प्रेम मगन न संभार
बहुविध साज संवारकें
अंजनली ने संग
वसन विचित्र बनायकें
पहरत पिय अंग
चंदन वंदन अरगजा
मुदित खिलावत फाग,
अबीर गुलाल उडावत
चहुंदिश छाय रह्यो अनुराग
केसर तिलक बनायकें
ओर कुसूमन के हार
आरती करे मन मोदसों
लेत तंबोल उगार
श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो
ललना ओर न कछू सुहाय
श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो Shri Vallabh Mere Man
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं