बरसाना की होली का ऐतिहासिक महत्व भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने बाल्यकाल में नंदगांव में रहते थे, जबकि उनकी प्रेमिका राधा बरसाना में रहती थीं। होली के त्योहार पर, भगवान कृष्ण अपने दोस्तों और भाइयों के साथ बरसाना जाते थे और राधा और उनकी सखियों के साथ होली खेलते थे। इस दौरान राधा और उनकी सखियां भगवान कृष्ण पर डंडे बरसाती थीं, जिसे "लट्ठमार होली" के रूप में जाना जाता है। बरसाना की होली को भारत के सबसे प्रसिद्ध होली उत्सवों में से एक माना जाता है। यह हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन, बरसाना की महिलाएं, जिन्हें हुरियारिन कहा जाता है, लट्ठ लेकर नंदगांव के पुरुषों, जिन्हें हुरियारों कहा जाता है, पर हमला करती हैं। हुरियारे ढाल लेकर हुरियारिनों के हमलों से बचने की कोशिश करते हैं। इस दौरान रंग, गुलाल और भांग का भी इस्तेमाल किया जाता है।
होली खेलन धूम मचावन Holi Khelan Dhoom Machavan
होली खेलन धूम मचावन, आयो यशोमती लालो, आयो प्रेम की होली ले के, मोहन मुरली वालो।
होली खेलन आयो मदन मुरारी, फागन रंग बरस रह्यो, कान्हो मारे भर भर पिचकारी, आज रंग बरस रह्यो, खेले श्याम संग होली राधा प्यारी, आज रंग बरस रह्यो कान्हो मारे भर भर पिचकारी, आज रंग बरस रह्यो ग्वाल बाल की टोली लेके, आयो किशन कन्हैया, नाचे धमाल मस्त बंसी जो बजैया, देखो श्याम सलौनो कान्हो, होली खेलन आयो है, हो संग में ग्वाल हाथ पिचकारी, लाल गुलाल भी लायो है, सखियाँ संग लेके आई राधा प्यारी, राधा रो मन हरस रह्यो, खेली श्याम संग होली राधा रानी, फागन रंग बरस रह्यो
राधाजी के मुख पर कान्हो, रंग गुलाल लगायो है, लाल गुलाबी राधा देख कर, कान्हा के मन भावे है, कान्हो लागे श्यामल श्यामल, राधा गोरी गोरी, हो गोकुल वासी राधा, और कान्हा की जोड़ी राधेश्याम की जोड़ी लागे प्यारी, आज रंग बरस रह्यो खेली श्याम संग होली राधा रानी, फागन रंग बरस रह्यो।
कान्हो दौड़े आगे आगे, पीछे गोपियाँ सारी, एक बार तो सुना दो मोहन, मुरली की धुन प्यारी, राधा संग करी सखियाँ ने, झुण्ड बना के आई, अरे सुनूं श्याम से मीठी बंसी, भाग ना जाए कन्हाई वोह तो सुध बुध भूल गयी सारी, जो ब्रज धुन छेड़ गयो, खेली श्याम संग होली राधा रानी, फागन रंग बरस रह्यो।
मतवालों कान्हूड़ो म्हारो, रंग रसियो बिहारी, रंग डाल्यों राधा ऊपर, भीगी चुनर सारी, उड़े गुलाल आज अम्बर में, रंग री उड़े फुहारी, राधा के संग होली खेले, देखो कृष्ण मुरारी राधा बरज बरज के हारी, मोहन नहीं मान रह्यो, खेली श्याम संग होली राधा रानी, फागन रंग बरस रह्यो।
राधा संग सपना में मोहन, अद्भुत रूप दिखावे, प्रेम रंग री होली माहि, प्रेम रंग बरसावे, जोड़ी राधे श्याम की, मेरे चित को छु गया, इस जोड़ी के दर्शन करके मेरा जीवन सफल हुआ थारी लीला अजब बनवारी, म्हारो तो खिल भाग गयो खेली श्याम संग होली राधा रानी फागन रंग बरस रह्यो।
होली खेलन धूम मचावन, आयो यशोमती लालो, आयो प्रेम की होली ले के, मोहन मुरली वालो।
(26)Barsane ki naval nar mil holi khelan aai...#holikirtan #rasiya #horibhajan