फागुन के दिन चार होली खेल मना रे

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण जब गोकुल में रहते थे, तो वे अक्सर अपनी सखियों और ग्वालों के साथ होली खेलते थे। वे रंग, अबीर, गुलाल और पिचकारी से एक-दूसरे को रंगते थे। भगवान कृष्ण और राधा के होली खेलने की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। एक बार, भगवान कृष्ण ने राधा को रंग लगाया। राधा को यह बहुत पसंद नहीं आया। उन्होंने भगवान कृष्ण से कहा कि वह उन्हें रंग नहीं लगाएंगे। भगवान कृष्ण ने राधा से कहा कि वह उन्हें रंग लगाने दें, क्योंकि वह उन्हें बहुत प्यार करते हैं। राधा ने भगवान कृष्ण की बात मान ली। भगवान कृष्ण ने राधा को रंग लगाया और राधा ने भी भगवान कृष्ण को रंग लगाया। भगवान कृष्ण और राधा की होली खेलने की कहानी प्रेम और मस्ती की कहानी है। यह कहानी हमें बताती है कि प्रेम में रंग और मस्ती होती है।

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे


फागुन के दिन चार होली खेल मना रे लिरिक्स Fagun Ke Din Char Lyrics

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे
बिन सुर राग छतीसूं, गावै रोम रोम रणकार रे
सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे
घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे
मीरा के प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे



(होली) - फागुन के दिन चार होरी खेल मना रे- "मीराबाई"- गायक - "भोला"

लट्ठमार होली: लट्ठमार होली ब्रज की सबसे प्रसिद्ध होली है। यह होली बरसाना में खेली जाती है। इस होली में महिलाएं पुरुषों पर लाठियां चलाती हैं। पुरुषों को महिलाओं के हाथों से बचकर रंगों से बचाना होता है।
फूलों की होली: फूलों की होली वृंदावन में खेली जाती है। इस होली में लोग एक-दूसरे पर फूलों की वर्षा करते हैं।
लड्डू होली: लड्डू होली मथुरा में खेली जाती है। इस होली में लोग एक-दूसरे को लड्डू खिलाते हैं।
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