श्याम मनिहारिन रूप बनाय के लिरिक्स
श्याम मनिहारिन रूप बनाय के लिरिक्स
श्याम मनिहारिन रूप बनाय के
चल दिए बरसाने की ओर
श्याम मनिहारिन रूप बनाय के
चल दिए बरसाने की ओर।
बरसाने की ओर चल दिए,
बरसाने की ओर।
नाक बीच नथ बेसर सोहे,
नैन काजल लागी कोर।
पाँव पजेब अनवट बिछुआ,
नूपुर की झनकोर।
बाँह बरा बाजूबन्द छन
चूड़ी, मेहंदी लग रही कोर,
गले गुलूबंद हरवा सोहे,
मेहँदी लग रही कोर।
पहर कुसुम रंग सारी सुन्दर,
चोली लग रही कोर,
तरह तरह की चुरियाँ पहरो,
करते फिरते शोर।
हरी जंगाली काली पीली,
लाए सब रंग ज़ोर,
अपने महल से राधा बोली,
आवत हैं चितचोर।
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