कभी धूप कभी छाँव Kabhi Dhoop Kabhi Chhanv Sukh Dukh Donon Rahate Jisme Jivan Hai Vo Gaanv
सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव, कभी धूप कभी छाँव, कभी धूप तो कभी छाँव, भले भी दिन आते जगत में, बुरे भी दिन आते, कड़वे मीठे फल करम के यहाँ सभी पाते, कभी सीधे कभी उल्टे पड़ते अजब समय के पाँव, कभी धूप कभी छाँव, कभी धूप तो कभी छाँव, सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव,
क्या खुशियाँ क्या गम, यह सब मिलते बारी बारी मालिक की मर्ज़ी पे चलती यह दुनिया सारी ध्यान से खेना जग नदिया में बन्दे अपनी नाव कभी धूप कभी छाँव, कभी धूप तो कभी छाँव सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव
सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव, कभी धूप कभी छाँव, कभी धूप तो कभी छाँव,
"सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव" गीत एक जीवनदर्शी गीत है जो जीवन के सुख-दुःख को स्वीकार करने की बात करता है। गीत की शुरुआत में, गायक जीवन को एक गांव के रूप में चित्रित करता है जिसमें सुख और दुःख दोनों रहते हैं। वह कहता है कि जीवन में कभी धूप होती है तो कभी छाँव। गीत के दूसरे भाग में, गायक जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने की बात करता है। वह कहता है कि जीवन में अच्छे और बुरे दिन आते हैं। हमें इन दोनों का स्वीकार करना चाहिए।
Author - Saroj Jangir
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