उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागला

उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागला

उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागला लिरिक्स Ud Ud Re Mhara Kala Re Kagala Lyrics
 
सावणियो साजन बिना,
मैं सह ना सकूँ बरसात,
बिरज बिना री, बिनणया,
तो नरा बिना री नार।
उड़ उड़ रे, उड़ उड़ रे,
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।

खीर खांड रा जीमण जिमावू,
खीर खांड रा जीमण जिमावू,
सोने में चोंच मंडाउ कागा,
जद म्हारा पीव जी घर आवे,
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।

पाँव में थारे में बाँधू रे घूघरा,
गला में हार पहनाऊं कागा,
जद म्हारा पीव जी घर आवे,
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।

जो तू उड़कर सुगन मनावै,
जनम जनम गुण गाऊ, कागा,
जद म्हारा पीव जी घर आवे,
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।

रूपा में थारो पंख जड़ाऊ,
नीलम में आँख जड़ाऊ कागा,
जद म्हारा पीव जी घर आवे,
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।

उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।


स्त्री का पति परदेस में है, सावन आ गया है और वह अपने पति के घर लौटने के बारे में व्यथित है। घर की मुंडेर पर कौवे का बैठना किसी के आने का संकेत माना जाता है। कौवे से स्त्री संवाद करती है की अब तुम उड़ जाओ, तुम्हारे उड़ने पर ही मेरे बालम / पीव जी घर पर आएंगे। स्त्री कौवे को कहती है की मैं तुम्हे खीर और चीनी का भोजन करवाउंगी, तुम्हारी चोँच को सोने में घड़वा दूंगी।
मैं तुम्हारे पाँव में घुंघरू बांधूंगी और गले में हार पहनाऊँगी, बस मेरे प्रिय घर पर आ जाएँ। तुम उड़ाकर यदि शगुन को पूरा करते तो मैं जन्म जन्म तुम्हारा एहसान मानूंगी, गुण गाउंगी। रूपा और नीलम जैसे रत्नों से तुम्हारे पंखो और आखों को सजाऊंगी।
उड़ उड़ रे, म्हारा काला रे कागला,
जद म्हारा पीव जी घर आवे।


Ud Ud Re Mhara Kala Re Kagala Jad Mhara Piv Ji Ghar Aave

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post