
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
इम्युनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता, जो शरीर को विभिन्न कीटाणुओं व वायरस के संक्रमण से बचाती है। रोग तो किसी भी को हो सकते हैं लेकिन यदि इम्यून सिस्टम मजबूत हो तो रोगों से बचने की सम्भावना बढ़ जाती है। हमारा खान पान कैसा हो और रहन सहन में क्या बदलाव करे जिससे हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित कर सकें। इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ा सकते हैं और रोग मुक्त कैसे रहे।
प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं
सामान्य रूप से हम पानी को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। चाय, काफी से काम चला लेते हैं। लेकिन स्वस्थ शरीर के लिए सबसे पहला स्टेप है, प्रयाप्त मात्रा में पानी। मानव शरीर में ५० से ६० प्रतिशत पानी होता है। शरीर के उत्तकों के सामान्य कार्य प्रणाली के लिए पानी अत्यंत आवश्यक है। पानी ही शरीर के उत्तकों और कोशिकाओं तक पानी पहुंचाता है। पानी से किडनी अपना काम सुचारु रूप से करती है और विषैले प्रदार्थ शरीर से बाहर निकाल पाती है।सवाल है की स्वास्थ्य दृस्टि से कितना पानी पिए ? 6 से 7 सामान्य आकार के गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। प्रयाप्त पानी से कई प्रकार के रोग स्वतः ही दूर हो जाते हैं, मसलन सर दर्द, त्वचा का रंग, एलर्जी, डिहाइड्रेशन और शरीर में रंगत आने लगती है।
यदि पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पिया जाता है तो शरीर स्वंय संकेत देता है जैसे -
गर्मियों में एक बात का विशेष ध्यान रखें की तापमान के बढ़ने के कारन शरीर से जल का पसीने के रूप में उत्सर्जन बढ़ जाता है जिससे शरीर में पानी की कमी आ जाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, इसलिए गर्मियों में नियमित रूप से पानी पियें।
स्वस्थ शरीर के लिए नींद भी आवश्यक हैं। नींद के दौरान शरीर को आराम तो मिलता ही है साथ में ही शरीर कई छुपे हुए कार्य नींद के दौरान ही कर पाता है। वयस्क व्यक्ति को ७ से ९ घंटे तक सोना चाहिए। वर्जीनिया में स्थित एरलींगटॉन की चैरीटी नेशनल स्लीप फ़ाउंडेशन का कहना है कि हर व्यक्ति की जीवनशैली के मुताबिक नींद पर आधारित होती है। उम्र के मुताबिक नींद लेने का समय निर्धारित होता है। अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेते तो इम्यून तंत्र को पुनर्निर्माण का समय नहीं मिलने के कारण वह कमजोर हो जाता है।
धूम्रपान और शराब के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसमें कोई दो राय नहीं है, इसलिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाएँ और शरीर को रोग मुक्त रखें। शोध में इस बात का खुलासा हुआ है की हमारा शरीर एक ऑर्केस्टा की तरह से होता है जिसमे कई सुर और वाद्य यंत्रों का संयोग होता है। धूम्रपान और शराब से इम्यून सिस्टम का तालमेल बिगड़ जाता है। इसलिए धूम्रपान और शराब जितना जल्दी हो सके छोड़ दें और याद रखें की अन्य दवा भी तभी काम करेगी जब आप शराब और धूम्रपान से दूर रहेंगे।
हरी सब्जियां कई प्रकार के वटामिन्स, खनिज और एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरी हुयी होती हैं, इसलिए अपनी खुराक में इनको शामिल करें। इनमे मौजूद फाइबर भी रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। ऋतू के अनुसार इनका सेवन श्रेष्ठ है। ग्वार फली, ग्वारपाठे की फली, ख़ींफ की फली, मोथ की फली, करेला, लौकी, आदि के साथ कुछ देसी सब्जी जैसे बथुआ, पोदीना, पालक, चिलवा आदि का भी सेवन करें। हरी सब्जिओं में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स को समाप्त करते हैं जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को पैदा करते हैं। शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट्स इनसे लड़ते हैं और पानी की मदद से विषाक्त कण शरीर से बाहर निकलते हैं, इसलिए पानी भी खूब पिए। हरी सब्जियां पेट भी साफ़ रखती हैं और आप ये तो जानते ही हैं की ज्यादातर बीमारियां ख़राब पाचन और पेट की सफाई के आभाव में पैदा होती हैं। अपने आहार में इम्युनिटी बढ़ाने वाले प्रदार्थों को शामिल कीजिए जैसे की लहसुन, बादाम (Almonds), गोभी, पपीता अदरक, नेवी बीन, रेशी मशरूम (Reishi mushrooms), नीलबदरी (Blueberry) और रसभरी (raspberry), छाछ और दही, तुलसी की चाय, ग्रीन टी आदि। ऐसे प्रदार्थों का सेवन करें जिनमे विटामिन विटामिन सी ,विटामिन ई , जिंक, कॉपर, और केल्सियम हों। शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मशरूम का भी अलग योगदान है। यह सफेद रक्त कोशिकाओं के कार्य को बढाकर शरीर के इम्युनिटी सिस्टम को बूस्ट करने में मदद करता है। साथ ही मशरूम शरीर को कैंसर से लड़ने की शक्ति देता है। विटामिन ए और डी, सेलेनियम, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रो-बायोटिक्स, ग्लूटामाइन और फ्लैवोनोल जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर आहार से ऑटोइम्यून रोगों की शुरूआत हो सकती है।
ग्रीन टी हमारे शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स पहुँचाती है और कई प्रकार के मिनरल्स भी देती है जो की इम्यून सिस्टम के लिए अत्यंत आवशयक हैं। ग्रीन टी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व जैसे विटामिन, विटामिन सी, ई कैरोटेनोइड, बायोफ्लावोनोइड्स, सेलेनियम, ओमेगा-फैटी एसिड होते हैं। ग्रीन टी को बगैर चीनी के पीना और अधिक लाभदायक माना जाता है। ग्रीन टी के कई फायदे हैं जैसे की ग्रीन टी के सेवन से मोटापा कम होता है, शरीर के फ्री रेडिकल्स को समाप्त करता है, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता हैं, लिवर और मधुमेह में लाभदायक होता है।
एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हल्दी का उपयोग आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए अत्यंत ही आवश्यक हैं। हल्दी के गुणों के बारे में आप इसी बात से लगा लीजिये की खाली पेट हल्दी के सेवन से कैंसर के कारक फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकला जा सकता है। हल्दी में पाए जाने वाले एंटीबैक्ट्रियल और एंटीफंगल गुण शरीर के कीटाणुओं का अंत करने में सहायक हैं। हल्दी के अन्य लाभ हैं - ये वजन घटाने में उपयोगी हैं, त्वचा के विकारों में लाभदायक, पाचन दुरुस्त करें, लिवर ठीक रखे, घाव भरने में सहायक है। सब्जी में हल्दी के उपयोग के साथ ही रोज एक चम्मच पानी में हल्दी मिलाकर पीने से आपको अनगिनत लाभ होंगे।
अपनी खुराक में मशरूम को शामिल करें। मशरूम एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है और मशरूम में कई प्रकार के प्रोटीन होते हैं जो कोशिकाओं की मरम्मत के लिए आवश्यक होते हैं। मशरूम में जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं उनसे कैंसर जैसे गंभीर रोग से लड़ने की क्षमता होती है। इन गुणों के आलावा मशरूम के सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, मधुमेह में उपयोगी, मोटापा कम करे, मैटाबॉलिज्म करे मजबूत, हड्डियों को मिलेगी मजबूती, हीमोग्लोबिन रखे ठीक, सर्दी-जुकाम से बचाएं, कुपोषण से बचाए इनके अलावे ये बालों एवं त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।
अंजीर भी इम्यून सिस्टम के लिए एक अहम् फल है। अंजीर में प्रोटीन, सेलुलोज, विटामिन A, विटामिन B1, केल्सियम, मेगनीज, फाइबर, पासफोरस और आयोडीन जैसे लाभदायक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। इम्यून सिस्टम के अलावा अंजीर के सेवन से पाचन तंत्र सुधरता है, हाइपरटेंशन कम होता है, हृदय की बिमारियों की रोकथाम होती है और अन्य बहुत सी बीमारियां नहीं लगती हैं। अंजीर के सेवन से शरीर कि ph स्तर नियंत्रित रहता है और इसमें मौजूद फाइबर ब्लड में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
भारतीय व्यंजनों में लहसुन अनिवार्य रूप से काम में लिया जाता है, ये इसके औषधीय गुणों के कारण है। लहसुन किसी भी सब्जी का स्वाद बढ़ा देता है। आयुर्वेद में लहसुन को एक औषधि माना गया है। सब्जिओं के अलावा एक कलि रोज लहसुन खाने के कई फायदे होते हैं। लहसुन एंटी ऑक्सीडेंट का भंडार होता है और इसके अलावा ये एंटी वायरल, एंटी बैक्ट्रियल, एंटी फंगल भी होता है। लहसुन के नियमित उपयोग से कई लाभ होते हैं जैसे अतिरिक्त वजन घटाने में जरुरी, हाई ब्लड प्रेशर को कण्ट्रोल करने में सहायक, डायबिटीज रोग में लाभदायक, कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम, हृदय रोग, गठिया रोग, और लिवर के लिए फायदेमंद है।
अपनी जीवन शैली को नियमित करें, सुबह शाम की सैर करें और तनावमुक्त रहें। ज्यादा भागदौड़ भी शरीर के लिए ठीक नहीं होती है। अपने शरीर की सीमाओं के अंदर रहते हुए किसी वस्तु की प्राप्ति की इच्छा पालें। भौतिक सुख सुविधा जुटाने के चक्कर में अपने शरीर की भेंट ना चढ़ायें। प्रयाप्त नींद ले और कोशिश करें खुश रहने की। तनाव कई बिमारियों को न्योता देता है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। मैडिटेशन करें और व्यायाम करें। अच्छे दोस्त बनाये और कोशिश करें स्ट्रेस फ्री रहने की।
सुबह आधे घंटे तक गुनगुनी धुप का सेवन करें इससे आपके शरीर में विटामिन डी 3 का लेवल सुधरेगा। अन्य सभी विटामिन भी शरीर में तभी काम कर सकेंगे जब विटामिन डी 3 का लेवल सामान्य हो। ये अन्य विटामिनों के अवशोषण के लिए आवश्यक हैं। सूर्य की धुप से आपका शरीर खुलेगा और यदि हलके फुल्के व्यायाम के साथ सरसों के तेल की मालिश की जाय तो और अधिक गुणकारी है।
स्वस्थ मन और शरीर के लिए योग और व्यायाम आवश्यक है। योग के साथ साथ हलके फुल्के व्यायाम भी शरीर को चुस्त और दुरुस्त बनाते हैं। योग और व्यायाम विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव में सहायक होते हैं जैसे हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, और मानसिक तनाव। व्यायाम और योग से रक्तचाप सुधरता है जिससे इम्यून सिस्टम बेहतर काम करता है। योग भारतीय सोच और संस्कृति का पुरे विश्व को एक प्रकार से तोहफा है। योग से वैसे तो कई प्रकार के लाभ होते हैं फिर भी यहाँ ये बताना आवश्यक है की योग से पुरे शरीर में लचकता बढ़ती है, मांसपेशियां मजबूत बनती है, स्वसन क्रिया सुधरती है, वजन और मेटाबॉलिज्म नियंत्रण में रहता है, रक्त का प्रवाह सुधरता है और इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है। शरीर के अलावा मानसिक रूप से योग करने के कई लाभ हैं जो स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक हैं। योग से इच्छा शक्ति दृढ होती है, तनाव दूर होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और बेहतर नींद आती है। आज पूरा विश्व योग के महत्त्व को स्वीकारता है तो आप भी योग कीजिये और स्वस्थ रहिये।
इसके अतिरिक्त अन्य तरीके हैं जिनके माध्यम से आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर सकते हैं। दही का खूब सेवन करें। दही के नियमित सेवन से पाचन तंत्र सुधरता है और इम्यून पावर बढ़ता है।
ओट्स में काफी फाइबर होते हैं जो पेट की सफाई करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हैं।
जिंक युक्त खाने को खाये। अमेरिकन नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ के विशेषज्ञ डा. नोवेरा के अनुसार, जिंक उम्र के साथ होने वाले इम्यून सिस्टम की कमजोर होने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ नार्थ कैरोलिना चैपल हिल स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में हुए शोध के अनुसार, मोटापा प्रतिरक्षा प्रणाली को धीमा करता है और इससे शरीर में संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए अपनी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए सबसे पहले अपने मोटापे को कम करें।
यदि आप अपने इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कोई औषधि लेना चाहते हैं तो आयुर्वेदा में इस हेतु कई दवाइयां उपलब्ध हैं। आप पतंजलि चिकित्सालय में बैठने वाले डॉक्टर से इस सबंध में राय ले सकते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए पतंजलि के प्रोडक्ट्स में से एक है आरोग्यवटी।
आरोग्य वटी में नीम, तुलसी और गिलोय के गुणों से भरपूर है। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काम में ली जाती है। तीनों ही हर्ब में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता देते हैं। चिकित्सक के सलाह पर इस औषधि को १ से २ गोली सुबह शाम ली जा सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
स्वस्थ आहार लें: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वस्थ आहार लेना बहुत जरूरी है। इसमें भरपूर मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और स्वस्थ वसा शामिल होना चाहिए।
नियमित रूप से व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
पर्याप्त नींद लें: पर्याप्त नींद लेने से शरीर को खुद को ठीक करने और संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।
तनाव को कम करें: तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है। इसलिए, तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान या अन्य आराम तकनीकों का अभ्यास करें।
धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और शराब प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है।
नियमित रूप से टीकाकरण करवाएं: टीकाकरण संक्रमण से बचाने में मदद करता है।
कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
फल और सब्जियां: फल और सब्जियां विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती हैं।
साबुत अनाज: साबुत अनाज फाइबर, विटामिन और खनिज से भरपूर होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक हैं।
प्रोटीन: प्रोटीन कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वस्थ वसा: स्वस्थ वसा सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।
पानी: पानी शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
इन उपायों को अपनाकर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं और बीमारियों से लड़ने में अपनी शरीर की क्षमता को मजबूत कर सकते हैं।
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सोर्स : https://www.ncbi.nlm.nih.gov
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाए Rog Pratirodhak Kshamta Ko Badhane Ke Tarike
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |