Patanjali Arogyavati Ke Fayde पतंजली आरोग्यवटी के फायदे Benefits of Patanjali Arogyavati Hindi
पतंजलि आरोग्य वटी क्या होती है What is Patanjali Arogyavati Hindi
आरोग्य का अर्थ होता है, रोग मुक्त। आरोग्य वटी के सेवन से व्यक्ति रोगो से मुक्त रहता है और इसीलिए इसका नाम आरोग्य वटी होता है। आरोग्य वटी एक आयुर्वेदिक ओषधि है जो की नीम, गिलोय और तुलसी के गुणों से भरपूर है। इस ओषधि में इन तीनों के सत होता है (नीमघन सत्, गिलोयघन सत् एवं तुलसीघन सत्) . यह गोली के रूप में आती है जिसे पानी के साथ लिया जाता है। इसके निर्माता पतंजलि आयुर्वेदा हैं। पतंजलि आरोग्य वटी दवा लेने के कई फायदे होते हैं। यह दवा मुख्यतौर पर वायरस इन्फेक्शन रोकने के लिए प्रयोग में लाते हैं। इसके अलावा यह एक कई तरह के बैक्टीरिया से बचाव के लिए भी उपचारात्मक प्रयोग की जाती है। इस दवा को त्वचा की कुछ बीमारियों में भी प्रयोग करने से फायदा होता है। ठंड या बुखार से बचाव के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
पतंजली आरोग्य वटी के घटक Ingredients of Patanjali Arogyavati Hindi
आरोग्य वटी में मुख्य रूप से तीन प्रकार की प्राकृतिक गुणों से भरपूर हर्ब और नीम के पेड़ के गुण होते हैं। इसमें तुलसी, गिलोय और नीम के गुणों का समावेश प्राप्त होता है। पहले जानते हैं की नीम, तुलसी, और गिलोय के गुण क्या होते हैं।
नीम
आयुर्वेद में नीम को लाखों रोगों की एक दवा माना जाता है। ये हमें प्रकृति का एक उपहार है। गाँवों में तो इसे दवाखाना समझा जाता है। नीम के एंटी बैक्ट्रियल गुणों के कारण ही अनाज के भण्डारण में इसके पत्तों को अनाज के बीच में रखा जाता है। नीम के पानी से नहाने से ही अनेकों रोग दूर हो जाते हैं। इसकी छाल घिस कर फोड़ों फुंसियों पर लगाने से वो शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
संस्कृत में नीम को ‘अरिष्ट’ कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है उत्तम और कभी ख़राब नहीं होने वाला। इसका वानस्पतिक नाम एजाडिरेक्टा इण्डिका है। नीम के पेड़ के हर भाग में गुण छिपे हुए होते हैं। भारत से नीम के पत्ते विदेशों में भेजे जाते हैं लेकिन निराशाजनक है की भारत के लोग वर्तमान समय में इसे हल्के में लेते हैं। नीम की सबसे बड़ी विशेषता है की ये जर्म से लड़ता है। शरीर में स्थित बैक्ट्रिया को समाप्त करता है जो हमारे लिए लाभदायक ना हों।
आयुर्वेद के भंडार प्राचीन ग्रन्थ ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ में इसके गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। रोसवेल पार्क कैंसर संस्थान में शोधकर्ताओं के 2014 के एक अध्ययन के अनुसार नीम कैंसर की रोकथाम में भी उपयोगी होता है। ये शरीर से फ्री रेडिकल्स को हटाता है। नीम के अन्य कई गुण होते हैं जैसे की ये त्वचा की बिमारियों में उपयोगी होता है, मधुमेह में इसका उपयोग होता है, रक्त शुद्ध करने आदि
संस्कृत में नीम को ‘अरिष्ट’ कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है उत्तम और कभी ख़राब नहीं होने वाला। इसका वानस्पतिक नाम एजाडिरेक्टा इण्डिका है। नीम के पेड़ के हर भाग में गुण छिपे हुए होते हैं। भारत से नीम के पत्ते विदेशों में भेजे जाते हैं लेकिन निराशाजनक है की भारत के लोग वर्तमान समय में इसे हल्के में लेते हैं। नीम की सबसे बड़ी विशेषता है की ये जर्म से लड़ता है। शरीर में स्थित बैक्ट्रिया को समाप्त करता है जो हमारे लिए लाभदायक ना हों।
आयुर्वेद के भंडार प्राचीन ग्रन्थ ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ में इसके गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। रोसवेल पार्क कैंसर संस्थान में शोधकर्ताओं के 2014 के एक अध्ययन के अनुसार नीम कैंसर की रोकथाम में भी उपयोगी होता है। ये शरीर से फ्री रेडिकल्स को हटाता है। नीम के अन्य कई गुण होते हैं जैसे की ये त्वचा की बिमारियों में उपयोगी होता है, मधुमेह में इसका उपयोग होता है, रक्त शुद्ध करने आदि
आयुर्वेद में नीम को एक अमृत तुल्य औषधि माना जाता है। इसे अनेक रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। नीम के औषधीय गुणों का वर्णन कई आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है।
नीम के लाभ
नीम के गुण
नीम त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को नष्ट करने वाला, ज्वर को नष्ट करने वाला, वात को दूर करने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला, घावों को भरने वाला, कफ और वात को नष्ट करने वाला, विस्फोटक (सूजन को कम करने वाला) है।
नीम के लाभ
- नीम एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक है। यह जीवाणु, वायरस, और कवक के खिलाफ प्रभावी है।
- नीम एक एंटीऑक्सीडेंट है। यह फ्री रेडिकल्स से होने वाली कोशिका क्षति को रोकने में मदद करता है।
- नीम एक इम्युनोमोड्यूलेटर है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- नीम एक एंटीपायरेटिक है। यह बुखार को कम करने में मदद करता है।
- नीम एक एंटी-इंफ्लेमेटरी है। यह सूजन को कम करने में मदद करता है।
- नीम एक एंटी-हिस्टामाइन है। यह एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
- नीम एक एंटी-डायबिटिक है। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- नीम एक एंटी- कैंसर है। यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करता है।
नीम के गुण
- रस: तीखा, कसैला, कड़वा
- गुण: गर्म
- वीर्य: तीक्ष्ण
- स्वाद: कटु, कसैला
- विपाक: कसैला
नीम त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को नष्ट करने वाला, ज्वर को नष्ट करने वाला, वात को दूर करने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला, घावों को भरने वाला, कफ और वात को नष्ट करने वाला, विस्फोटक (सूजन को कम करने वाला) है।
अर्थ: नीम कटु, कसैला, तीक्ष्ण, उष्ण, तीक्ष्ण, कृमिनाशक, वात को दूर करने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला, त्रिदोष को नष्ट करने वाला, घावों को भरने वाला, कफ और वात को नष्ट करने वाला, रसायन (शरीर को मजबूत करने वाला) है।
तुलसी
तुलसी के बारे में तो आप सभी जानते हैं। इसके गुणों को पहचान कर इसकी पूजा होती है। तुलसी को माता कहा गया है। तुलसी के गुणों के बारे में बात की जाय तो ये कैंसर के इलाज के लिए भी एक संभावित औषधि हो सकती है। तुलसी में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स शरीर से फ्री रेडिकल्स को समाप्त करते हैं और इस सबंध में विभिन्न शोध हो रहे हैं। तुलसी कई बिमारियों में लाभदायक सिद्ध हो सकती है यथा सर्दी जुकाम, भुखार, उल्टी दस्त, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इसका उपयोग किया जाता है। तुलसी की तासीर गर्म होती है इसलिए इसे सर्दियों में प्रयोग किया जाना लाभदायक होता है। तुलसी के कुछ पत्ते मुँह में रख कर चबाने से मुँह के बैक्ट्रिया समाप्त होते हैं। तुलसी के सेवन से वात और कफ स्थिर होते हैं।
तुलसी के गुण
- रस: कटु, कसैला, कड़वा
- गुण: गर्म
- वीर्य: तीक्ष्ण
- स्वाद: कटु, कसैला
- विपाक: कसैला
तुलसी एक बहुगुणी जड़ी-बूटी है जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मदद कर सकती है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो फ्री रेडिकल्स से होने वाली कोशिका क्षति को रोकने में मदद करता है। तुलसी एक एंटीबायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-अल्जाइमर, एंटी-कैंसर, एंटी-डायबिटिक, एंटी-हाइपरटेंसिव, इम्यूनोमोड्यूलेटर, एंटीपायरेटिक, व्रणरोपण, और रसायन भी है। तुलसी का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है, जैसे कि तुलसी की पत्तियां चबाना, तुलसी का काढ़ा बनाना, तुलसी की चाय बनाना, तुलसी की टिंचर बनाना, तुलसी के तेल का उपयोग करना, और तुलसी के बीज का उपयोग करना।
यदि गिलोय नीम पर चढ़ी हो तो इसे नीम गिलोय कहा जाता है और नीम इसके गुणों को और अधिक बढ़ा देता है। गिलोय का मुख्य गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स शरीर के फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होते हैं। गिलोय हर तरह के संक्रमण और हानिकारक बैक्ट्रिया से लड़ता है। गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के अलावा त्वचा के संक्रमण, डेंगू, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, मधुमेह, गठिया, आँखों और अन्य रोगों के उपचार में इसका उपयोग होता है। गिलोय की तासीर गर्म होती है इसलिए इसकी मात्रा को चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लिया जाना चाहिए।
गिलोय
गिलोय को इसके गुणों के कारण इसे अमृत माना जाता है। गिलोय का वानस्पतिक नाम Tinospora cordifolia है। आयुर्वेद में इसे कई बिमारियों के उपचार के लिए उपयोग में लिया जाता है। गिलोय के पत्ते, जड़ और तने का उपयोग वात, कफ और पित्त सबंधी व्याधियों के लिए किया जाता है। गिलोय की बेल होती है जो वृक्ष के सहारे ऊपर चढ़ती है।
यदि गिलोय नीम पर चढ़ी हो तो इसे नीम गिलोय कहा जाता है और नीम इसके गुणों को और अधिक बढ़ा देता है। गिलोय का मुख्य गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स शरीर के फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होते हैं। गिलोय हर तरह के संक्रमण और हानिकारक बैक्ट्रिया से लड़ता है। गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के अलावा त्वचा के संक्रमण, डेंगू, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, मधुमेह, गठिया, आँखों और अन्य रोगों के उपचार में इसका उपयोग होता है। गिलोय की तासीर गर्म होती है इसलिए इसकी मात्रा को चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लिया जाना चाहिए।
गिलोय एक बहुगुणी जड़ी-बूटी है जिसे आयुर्वेद में एक अमूल्य रसायन माना जाता है। इसे "अमृता" या "अमरता का पेड़" भी कहा जाता है। गिलोय का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अरिडा है। यह एक बारहमासी लता है जो भारत, चीन, और दक्षिणपूर्व एशिया के जंगलों में पाई जाती है।
गिलोय एक बहुगुणी जड़ी-बूटी है जिसे आयुर्वेद में एक अमूल्य रसायन माना जाता है। इसे "अमृता" या "अमरता का पेड़" भी कहा जाता है। गिलोय का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अरिडा है। यह एक बारहमासी लता है जो भारत, चीन, और दक्षिणपूर्व एशिया के जंगलों में पाई जाती है।
गिलोय के गुण
आरोग्य वटी के घटक Ingredients of Aarogya Vati
पतंजलि आरोग्य वटी की खुराक व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर, पतंजलि आरोग्य वटी की खुराक एक या दो गोली दिन में दो बार सुबह और शाम खाना खाने के बाद ली जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में, डॉक्टर अधिक या कम खुराक निर्धारित कर सकते हैं।
पतंजलि आरोग्य वटी की खुराक निर्धारित करते समय, डॉक्टर रोगी की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, और अन्य कारकों पर विचार करेंगे। उदाहरण के लिए, बच्चे और बुजुर्ग लोगों को आमतौर पर कम खुराक की आवश्यकता होती है। जिन लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उन्हें भी अधिक खुराक की आवश्यकता हो सकती है। यदि आप पतंजलि आरोग्य वटी ले रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है कि आप सही खुराक ले रहे हैं।
गिलोय एक बहुगुणी जड़ी-बूटी है जिसे आयुर्वेद में एक अमूल्य रसायन माना जाता है। इसे "अमृता" या "अमरता का पेड़" भी कहा जाता है। गिलोय का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अरिडा है। यह एक बारहमासी लता है जो भारत, चीन, और दक्षिणपूर्व एशिया के जंगलों में पाई जाती है।
गिलोय के गुण
- रस: कड़वा, कसैला
- गुण: गर्म
- वीर्य: तीक्ष्ण
- स्वाद: कड़वा, कसैला
- विपाक: कसैला
पतंजली आरोग्य वटी के फायदे Patanjali Arogyavati Ke Fayde Patanjali Arogyavati Benefits Hindi
आपने आरोग्य वटी के मुख्य घटक के बारे में जान लिया है की तीनों ही घटक कितने उपयोगी हैं। जब इन तीनों का मेल होता है तो इस वटी के गुण और अधिक बढ़ जाते हैं। आरोग्य वटी में इन तीनों को बराबर मात्रा में मिला कर बनाया जाता है। आरोग्य वटी के मुख्य लाभ होते हैं :-
- इससे कमजोर स्वास्थ्य सुधरता है और जीवाणुओं का संक्रमण दूर होता है।
- यकृतवृद्धिहर
- इसके उपयोग से ज्वर, शीत और कफ से जनित रोग दूर होते हैं।
- रक्त प्रसाधन
- ओजोबर्धक
- यह रोक प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है।
- श्वासहर
- इसके नियमित उपयोग से वात, कफ और पित्त से सबंधित दोष ठीक होते हैं।
- प्लीहवृद्धिहर
- त्वचा से सबंधित विकारों में लाभदायक होती है।
- ज्वरघ्न
- दमा, और स्वसन सबंधी रोगों के लिए लाभदायक होती है।
- कासहर
- शरीर में होने वाले संक्रमण के इलाज के लिए उपयोगी।
- शोथहर
- इसे सप्लीमेंट के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है।
- श्लेष्मपूतिहर
- रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक
- कुष्ठघन
- जीवाणु नाशक
- प्रतिउपचायक – एंटीऑक्सीडेंट
- संक्रमण: पतंजलि आरोग्य वटी वायरस, बैक्टीरिया, और कवक के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकती है।
- त्वचा की बीमारियां: पतंजलि आरोग्य वटी त्वचा की कुछ बीमारियों, जैसे कि मुँहासे, खुजली, और एक्जिमा के इलाज में मदद कर सकती है।
- इम्यूनिटी कमजोर होना: पतंजलि आरोग्य वटी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है, जो संक्रमण से बचाव में मदद करती है।
- बुखार: पतंजलि आरोग्य वटी बुखार से राहत देने में मदद कर सकती है।
- लिवर की समस्याएं: पतंजलि आरोग्य वटी लिवर की समस्याओं, जैसे कि लिवर सिरोसिस, कोलेस्टेरॉल, और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है।
- मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियां: पतंजलि आरोग्य वटी मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों, जैसे कि डेंगू, चिकनगुनिया, और मलेरिया से बचाव में मदद कर सकती है।
आरोग्य वटी के घटक Ingredients of Aarogya Vati
घटक के नाम मात्रा
- गिलोय एक्सट्रेक्ट 250 मिलीग्राम
- नीम एक्सट्रेक्ट 125 मिलीग्राम
- तुलसी एक्सट्रेक्ट 125 मिलीग्राम
पतंजलि आरोग्य वटी दवा की खुराक Patanjali Arogya Vati Medicine Dosage
पतंजलि आरोग्य वटी की खुराक व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर, पतंजलि आरोग्य वटी की खुराक एक या दो गोली दिन में दो बार सुबह और शाम खाना खाने के बाद ली जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में, डॉक्टर अधिक या कम खुराक निर्धारित कर सकते हैं।
पतंजलि आरोग्य वटी की खुराक निर्धारित करते समय, डॉक्टर रोगी की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, और अन्य कारकों पर विचार करेंगे। उदाहरण के लिए, बच्चे और बुजुर्ग लोगों को आमतौर पर कम खुराक की आवश्यकता होती है। जिन लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उन्हें भी अधिक खुराक की आवश्यकता हो सकती है। यदि आप पतंजलि आरोग्य वटी ले रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है कि आप सही खुराक ले रहे हैं।
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पतंजलि आरोग्य वटी की कीमत Patanjali Arogya Vati Price
पतंजलि आरोग्य वटी की कीमत ₹60 है और एक पैक में आपको 80 गोलियां मिलती हैं। यह एक सस्ती और प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मदद कर सकती है। पतंजलि आरोग्य वटी को पतंजलि आयुर्वेद के आधिकारिक वेबसाइट या किसी भी पतंजलि स्टोर से खरीदा जा सकता है।सावधानियां या साइड इफेक्ट्स Patanjali Arogya Vati Side Effects
- पतंजलि आरोग्य वटी को लंबे समय तक लेने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि पेट में दर्द, दस्त, और उल्टी। इसलिए, इसे केवल तब तक लें जब तक कि आपको इसकी आवश्यकता हो।
- पतंजलि आरोग्य वटी को हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लें। यदि आप किसी भी तरह की दवा या सप्लीमेंट का उपयोग कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर को बताएं।
- यदि आप बुखार के लिए पतंजलि आरोग्य वटी का उपयोग कर रहे हैं, तो काढ़े का सेवन भी ज़रूर करें। काढ़े में गिलोय, तुलसी, नीम, और आंवला जैसे समान जड़ी-बूटियां होती हैं, जो बुखार को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पतंजलि आरोग्य वटी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
पतंजलि आरोग्य वटी के उपयोग patanjali arogya vati Uses
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में To improve immunity and overall health (रोग प्रतिरोधक क्षमता और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए)
- Skin Disorders For skin issues (त्वचा समस्याओं के लिए)
- डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया में लाभकारी Dengue, Chikungunya, and Malaria
- लीवर प्रकिया को सुधारने में Liver Function Improvement
- फ्री रेडिकल को कम करने में Reducing Free Radicals
- पाचन क्रिया को मजबूत करने मे Strengthening Digestive Function
- शरीर से गन्दगी बाहर निकालने में Detoxifying the Body
- कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड, और एलडीएल लेवल कम करने में Lowering Cholesterol, Triglycerides, and LDL Levels
पतंजलि के द्वारा इसे किफायती दरों पर उपलब्ध करवाया जाता है। इसके बारे में और अधिक जानने या फिर ऑनलाइन खरीदने के लिए आप पतंजलि की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया जा रहा है। आरोग्य वटी के सेवन सबंधी राय आप पतंजलि के चिकित्सालय में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/vati/arogya-vati/623
Disclaimer : इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी https://lyricspandits.blogspot.com की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है। अस्वीकरण सबंधी विस्तार से सूचना के लिए यहाँ क्लिक करे।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
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and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.