नंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया भजन
अनंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया
सतगुर ता पाया सहज सेती
मन वजीया वधाईया
राग रतन परवार परीआ
सबद गावण आइया
अनंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया
शबदो त गावहो हरि केरा
मन जिनी वसाईया
कहै नानक अनंद होआ
सतगुरू मैं पाया
अनंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया
ऐ मन मेरया तू सदा रहु हरनाल
हर नाल रहु तु मन मेरे दुख सभ विसारणा
अंगीकार उह करे तेरा कारज सभ सवारणा
सभनाा गला समरथ स्वामी सौ क्यूँ मनहु विसारे
कहै नानक मन मेरे सदा रहु हरनाल
साचे साहबा क्या नहीं घर तेरे
घर त तेरे सभ किछ है जिसदेहेसुपावे
सदा सिफत सलाह तेरी नाम मन वसावै
नाम जिन कै मन वसया वाजे सबद घनेरे
कहै नानक सचे साहब क्या नाहीं घर तेरै॥
साचा नाम मेरा आधारे
साच नाम अधार मेरा जिन भुखा सभ गवाईया
कर शांत सुख मन आए वसया जिन इच्छा सभ पुजाया
सदा कुरबान किता गुरू विटहु जिस दिया एही वडिआईया
कहै नानक सुनहु संतहु सबद धरहु प्यारे
साचा नाम मेरा आधारो
वाजे पंच सबद तितु घर सभारै
घर सभारै सबद वाजे कलाजित घर धारया
पंचदूत तूध वस किते काल कंटक मारयाा
धुर करम पाया तुध जिन कउ सिनाम हर कै लागे
कहै नानक तह मुख होआ तित घर अनहद वाजे
अनंद सुनहु वडभागिहो सगल मनोरथ पूरे
पारब्रहम प्रभ पाया उतरे सगल विसुरे
दुख रोग संताप उतरे सुणी सच्ची वाणी
संत साजन भए सरसे पूरे गुर ते जाणी
सुणते पूणित कहते पवित सतगुरू रहया भरपूरे
बिणवंत नानक गुर चरण लागै वाजे अनहद तूरे
सतगुर ता पाया सहज सेती
मन वजीया वधाईया
राग रतन परवार परीआ
सबद गावण आइया
अनंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया
शबदो त गावहो हरि केरा
मन जिनी वसाईया
कहै नानक अनंद होआ
सतगुरू मैं पाया
अनंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया
ऐ मन मेरया तू सदा रहु हरनाल
हर नाल रहु तु मन मेरे दुख सभ विसारणा
अंगीकार उह करे तेरा कारज सभ सवारणा
सभनाा गला समरथ स्वामी सौ क्यूँ मनहु विसारे
कहै नानक मन मेरे सदा रहु हरनाल
साचे साहबा क्या नहीं घर तेरे
घर त तेरे सभ किछ है जिसदेहेसुपावे
सदा सिफत सलाह तेरी नाम मन वसावै
नाम जिन कै मन वसया वाजे सबद घनेरे
कहै नानक सचे साहब क्या नाहीं घर तेरै॥
साचा नाम मेरा आधारे
साच नाम अधार मेरा जिन भुखा सभ गवाईया
कर शांत सुख मन आए वसया जिन इच्छा सभ पुजाया
सदा कुरबान किता गुरू विटहु जिस दिया एही वडिआईया
कहै नानक सुनहु संतहु सबद धरहु प्यारे
साचा नाम मेरा आधारो
वाजे पंच सबद तितु घर सभारै
घर सभारै सबद वाजे कलाजित घर धारया
पंचदूत तूध वस किते काल कंटक मारयाा
धुर करम पाया तुध जिन कउ सिनाम हर कै लागे
कहै नानक तह मुख होआ तित घर अनहद वाजे
अनंद सुनहु वडभागिहो सगल मनोरथ पूरे
पारब्रहम प्रभ पाया उतरे सगल विसुरे
दुख रोग संताप उतरे सुणी सच्ची वाणी
संत साजन भए सरसे पूरे गुर ते जाणी
सुणते पूणित कहते पवित सतगुरू रहया भरपूरे
बिणवंत नानक गुर चरण लागै वाजे अनहद तूरे
नंद भया मेरी माए सतगुरू मैं पाईया
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Author - Saroj Jangir
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