चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे लिरिक्स Chalna Hai Door Musafir Kahe Sove Re Lyrics

चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे लिरिक्स Chalna Hai Door Musafir Kahe Sove Re Lyrics

 

चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे
काहे सोवे रे मुसाफिर काहे सोवे रे

चेत अचेत नर सोच बावरे,
बहुत नींद मत सोवे रे,
काम क्रोध मद लोभ में फंसकर
उमरिया काहे खोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे

सिर पर माया मोह की गठरी,
संग दूत तेरे होवे रे,
सो गठरी तोरी बीच में छिन गई,
मूंड पकड़ कहाँ रोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे

रस्ता तो दूर कठिन है
चल अब अकेला होवे रे,
संग साथ तेरे कोई ना चलेगा,
काके डगरिया जोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे

नदिया गहरी नांव पुरानी,
केही विधि पार तू होवे रे,
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
ब्याज धो के मूल मत खोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे 


Chalana Hai Door Musaaphir Kaahe Sove Re
Kaahe Sove Re Musaaphir  Kaahe Sove Re

Chet Achet Nar Soch Baavare,
Bahut Neend Mat Sove Re,
Kaam Krodh Mad Lobh Mein Phansakar
Umariya Kaahe Khove Re,
Chalana Hai Door Musaaphir Kaahe Sove Re

Sir Par Maaya Moh Kee Gatharee,
Sang Doot Tere Hove Re,
So Gatharee Toree Beech Mein Chhin Gaee,
Moond Pakad Kahaan Rove Re,
Chalana Hai Door Musaaphir Kaahe Sove Re

Rasta To Door Kathin Hai
Chal Ab Akela Hove Re,
Sang Saath Tere Koee Na Chalega,
Kaake Dagariya Jove Re,
Chalana Hai Door Musaaphir Kaahe Sove Re

Nadiya Gaharee Naanv Puraanee,
Kehee Vidhi Paar Too Hove Re,
Kahe Kabeer Suno Bhaee Saadho,
Byaaj Dho Ke Mool Mat Khove Re,
Chalana Hai Door Musaaphir Kaahe Sove Re 

कबीर के इस भजन का अर्थ है कि जीवन एक यात्रा है, और हमें इस यात्रा को पूरी तरह से जीना चाहिए। हमें आलस्य और निष्क्रियता में नहीं पड़ना चाहिए, बल्कि हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। भजन के पहले दो श्लोकों में, कबीर हमें चेतावनी देते हैं कि जीवन बहुत छोटा है, और हमें इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। हमें काम, क्रोध, मद और लोभ जैसे सांसारिक मोहों में फंसकर अपनी ऊर्जा और समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए जो दूसरों की मदद करे।
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