चन्द्रशेखराष्टकम् महत्त्व अर्थ जानिये

चन्द्रशेखराष्टकम् हिंदी

'चन्द्रशेखराष्टकम्' भगवान शिव की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसमें उनके विभिन्न रूपों और लीलाओं का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में 'चन्द्रशेखर' नामक शिव की महिमा का गुणगान किया गया है, जो उनके मस्तक पर सुशोभित चंद्रमा के कारण उन्हें संबोधित करता है। इसका नियमित पाठ करने से भक्तों को भय, कष्ट और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है, क्योंकि यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम माना जाता है।

चन्द्रशेखराष्टकम् हिंदी ChandraSekhara Ashtakam Stotra Sounds of Isha

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥

रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 1 ॥

मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम् ।
देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 2 ॥

कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 3 ॥

पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् ।
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 4 ॥

यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 5 ॥

भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 6 ॥

विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनम् ।
क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 7 ॥

भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमम् ।
सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ॥ 8 ॥ 
 
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम्। चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम्॥
अर्थ: हे चन्द्रशेखर! आप चन्द्रमा से सुशोभित हैं। मैं आपकी शरण में हूं, कृपया मेरी रक्षा करें।

रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं। शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम्।
अर्थ: आपके धनुष की डोरी रत्नों से बनी है, और आप चांदी के पर्वत की चोटी पर निवास करते हैं। आपके धनुष की डोरी सर्पों से बनी है, और आपके बाण भगवान विष्णु के हैं।

क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं। चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥
अर्थ: आपने तीनों लोकों के राक्षसों को शीघ्रता से नष्ट किया है, और देवताओं द्वारा पूजे जाते हैं। मैं आपकी शरण में हूं, मृत्यु के देवता मुझे क्या कर सकते हैं?

पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं। फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मथ विग्रहम्।

अर्थ: आपके चरणों में कमल के दो सुंदर पुष्प हैं, और आपकी जटा में चंद्रमा स्थित है। आपके तीसरे नेत्र के तेज से कामदेव का शरीर भस्म हो गया है।

भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भवमव्ययं। चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥
अर्थ: आपका शरीर भस्म से आच्छादित है, आप संसार के संहारक और अविनाशी हैं। मैं आपकी शरण में हूं, मृत्यु के देवता मुझे क्या कर सकते हैं?

यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्। शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम्।

अर्थ: आप यक्षों के राजा के मित्र हैं, भगवान विष्णु के परम भक्त हैं, और सर्पों के आभूषण से सुशोभित हैं। आप पर्वतों की पुत्री पार्वती के साथ सुंदर रूप में विराजमान हैं।

क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्। चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥
अर्थ: आपके पास नीलवर्णी गदा और शूल है, और आप मृग के चर्म से आच्छादित हैं। मैं आपकी शरण में हूं, मृत्यु के देवता मुझे क्या कर सकते हैं?

भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं। दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्।

अर्थ: आप भवरोगियों के लिए औषधि हैं, सभी पापों का नाश करने वाले हैं, दक्ष के यज्ञ का संहार करने वाले हैं, त्रिगुणों के स्वामी हैं, और तीन नेत्रों वाले हैं।
 

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