जनम तेरा बातों ही बीत गयो भजन
जनम तेरा बातों ही बीत गयो कबीर भजन
जनम तेरा बातों ही बीत गयो
तुने कबहू ना कृष्ण कहो
पाँच बरस को भोलो बालो, अब तो बीस भयो
मकर पचीसी माया के कारन, देश विदेश गयो
तीस बरस की अब मति उपजी, लोभ बढ़े नित नयो
माया जोड़ी लाख करोड़ी, अजहू न तृप्त भयो
वृद्ध भयो तब आलस उपज्यो, कफ नित कंठ नयो
साधू संगति कबहू न किन्ही, बिरथा जनम गयो
यो जग सब मतलब को लोभी, झूठो ठाठ ठयो
कहत कबीर समझ मन मूरख, तूं क्यूँ भूल गयो
Janam Tera Baaton Hee Beet Gayo
Tune Kabahoo Na Krshn Kaho
Paanch Baras Ko Bholo Baalo, Ab To Bees Bhayo
Makar Pacheesee Maaya Ke Kaaran, Desh Videsh Gayo
Tees Baras Kee Ab Mati Upajee, Lobh Badhe Nit Nayo
Maaya Jodee Laakh Karodee, Ajahoo Na Trpt Bhayo
Vrddh Bhayo Tab Aalas Upajyo, Kaph Nit Kanth Nayo
Saadhoo Sangati Kabahoo Na Kinhee, Biratha Janam Gayo
Yo Jag Sab Matalab Ko Lobhee, Jhootho Thaath Thayo
Kahat Kabeer Samajh Man Moorakh, Toon Kyoon Bhool Gayo
Janam Tera Baaton Hi Beet Gayo
Janam Tera Baaton Hi Beet Gayo
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Janam Tera Baaton Hi Beet Gayo · Hari Om Sharan
Kahat Kabir Suno Bhai Sadho
℗ Super Cassettes Industries Limited
यह रचना जीवन की अवस्था-दर-अवस्था बीतने पर भी आत्मजागृति की प्रतीक्षा में खड़ी आत्मा का पुकार है। बाल्य की सहजता, युवावस्था की व्यस्तता और वृद्धावस्था की विवशता — तीनों का यह चित्र मनुष्य की यात्रा का प्रतिबिंब है। कबीर का संकेत स्पष्ट है कि बिन स्मरण, बिन साधना, और बिन प्रेम के यह जीवन केवल समय का खर्च है। बचपन खेल में गया, यौवन माया के मोह में, और वृद्धावस्था शरीर की जड़ता में; लेकिन प्रभु का नाम किसी अवस्था में नहीं आया। यह व्यथा केवल धार्मिक नहीं, आत्मिक है — यह उस भूल की व्यथा है जो मनुष्य को बार-बार जन्म लेने को विवश करती है।
यह संदेश याद दिलाता है कि सत्य की खोज का समय “अभी” है। “कल” या “बुढ़ापे” के लिए टाल देने वाला मन अंततः शून्य के साथ रह जाता है। माया का मोह चाहे कितना भी आकर्षक हो, उसकी प्यास कभी बुझती नहीं; वह केवल छलावा है जो आत्मा को बाँधे रखता है। कबीर यहाँ साधु संगति का महत्व भी बता रहे हैं — क्योंकि सच का ज्ञान तभी संभव है जब हृदय किसी जागे हुए के स्पर्श से स्पंदित हो। अंततः यह वाणी जागृति का आह्वान है कि धरती पर आए तो प्रभु के स्मरण में कुछ पल रोक लेना सीखो, क्योंकि दुनिया के सौ सुख एक क्षणिक छाया हैं, और वही एक नाम शाश्वत प्रकाश।
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