
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
जो तुम तोड़ो पीया मैं नहीं तोड़ूँ रे
तोसा प्रीत तोड़ कृष्ण कौन सँग जोड़ूँ रे
तुम भए मोती प्रभु हम भए धागा
तुम भए सोना हम भए सुहागा
मीरा कहे प्रभु ब्रिज के बासी
तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी दासी
"जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोडू रे।
तोरी प्रीत तोड़ी कृष्ण, कौन संग जोडू॥"
मीरा कहती हैं कि हे प्रियतम (श्रीकृष्ण), यदि आप भी हमारा साथ छोड़ दें, तो भी मैं आपका साथ नहीं छोड़ूंगी। यदि मैं आपकी प्रीत तोड़ दूं, तो फिर किससे जोड़ूंगी? आप ही मेरे सर्वस्व हैं।
"तुम भए तरुवर, मैं भई पंखिया।
आप वृक्ष हैं, और मैं उस पर बैठी हुई चिड़िया हूँ। आप सरोवर हैं, और मैं उसमें रहने वाली मछली हूँ। हमारा संबंध ऐसा है कि मैं आपसे अलग नहीं हो सकती।
"तुम भए गिरिवर, मैं भई चारा।
तुम भए चंदा, मैं भई चकोरा॥"
आप पर्वत हैं, और मैं उस पर उगने वाली घास हूँ। आप चंद्रमा हैं, और मैं चकोर पक्षी हूँ, जो सदा आपको निहारता है। हमारा संबंध ऐसा है कि मैं सदा आपके प्रति आकर्षित हूँ।
"तुम भए मोती, प्रभु हम भए धागा।
आप मोती हैं, और मैं वह धागा हूँ, जिसमें मोती पिरोया जाता है। आप सोना हैं, और मैं वह सुहागा (बोरिक पाउडर) हूँ, जो सोने को शुद्ध करता है। हमारा संबंध ऐसा है कि मैं आपके बिना अधूरी हूँ।
"बाई मीरा के प्रभु बृज के बासी।
तुम मेरे ठाकुर, मैं तेरी दासी॥"
मीरा कहती हैं कि मेरे प्रभु श्रीकृष्ण बृज (वृंदावन) के निवासी हैं। आप मेरे स्वामी हैं, और मैं आपकी दासी हूँ। यह मेरा आपके प्रति पूर्ण समर्पण है।
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