कितना विष पी डाला भोले सरकार
भूल गया क्या तेरा रुतबा है न्यारा,
देवों में सबसे ऊपर नाम तुम्हारा,
मांग तेरे भक्तो से कोई अच्छा सा उपहार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
कितना विष पि डाला भोले भाले सरकार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
मीलो तू बाबा हमको पैदल चलाए
छोटी सी लुटिया में जल भरवाए
पाँव में कंकड़ कांटे चुभ जाते कई हजार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
कितना विष पि डाला भोले भाले सरकार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
सावन है तेरा बरसे दिन रात पानी
फिर क्या कमी है तुमको जल की ओ दानी
हमको भी ऐबाबा बतलाओ ना एक बार
पतितो को कर देती पावन गंगा की धार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
कितना विष पि डाला भोले भाले सरकार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
कितना विष पी डाला भोले भाले सरकार
शीश पे गंगा फिर भी तू मांगे जल की धार
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