कोई नहीं भाई अपना, बिना सतगुरु जग में, कोई नहीं भाई अपना, कोई नहीं भाई अपना, बिना सतगुरु जग में
कोई नहीं भाई अपना।
बाग़ लगाया बगीचा लगाया, और लगाया केला, इस तन से प्राण निकल गए तो, रह गया चमन अकेला, कोई नहीं भाई अपना, बिना सतगुरु जग में,
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
कोई नहीं भाई अपना।
तीन महीना तिरिया रोवे, छह महीना सगा भाई, जनम जनम माता रोवे, कर गया आस परायी, कोई नहीं भाई अपना, बिना सतगुरु जग में,
कोई नहीं भाई अपना।
कोई नहीं भाई अपना, बिना सतगुरु जग में, कोई नहीं भाई अपना, कोई नहीं भाई अपना बिना सतगुरु जग में कोई नहीं भाई अपना।
कबीर दास जी/ कबीर साहेब कवि और दार्शनिक थे जिन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से प्रेम, एकता और समानता के मूल्यों को सिखाया। कबीर साहेब की कुछ शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:
ईश्वर की एकता और सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास करें, चाहे उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
यह समझें कि परम सत्य स्वयं के भीतर निहित है, बाहरी अनुष्ठानों या प्रथाओं में नहीं।
जानवरों और प्रकृति सहित सभी जीवित प्राणियों के प्रति प्रेम और करुणा का अभ्यास करें।
ध्यान और आत्म-अनुशासन के माध्यम से अपने मन और भावनाओं को नियंत्रित करें।
कोई नही भाई अपना by tarasingh dodve Dr. sahab Kabir Bhajan
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