सांवरे की दृष्टि मानो प्रेम कटारी लिरिक्स
आली सांवरे की दृष्टि मानो प्रेम की कटारी है।।
लागत बेहाल भ तनकी सुध बुध ग
तन मन सब व्यापो प्रेम मानो मतवारी है।।
सखियां मिल दोय चारी बावरी सी भ न्यारी
हौं तो वाको नीके जानौं कुंजको बिहारी।।
चंदको चकोर चाहे दीपक पतंग दाहै
जल बिना मीन जैसे तैसे प्रीत प्यारी है।।
बिनती करूं हे स्याम लागूं मैं तुम्हारे पांव
मीरा प्रभु ऐसी जानो दासी तुम्हारी है।।
लागत बेहाल भ तनकी सुध बुध ग
तन मन सब व्यापो प्रेम मानो मतवारी है।।
सखियां मिल दोय चारी बावरी सी भ न्यारी
हौं तो वाको नीके जानौं कुंजको बिहारी।।
चंदको चकोर चाहे दीपक पतंग दाहै
जल बिना मीन जैसे तैसे प्रीत प्यारी है।।
बिनती करूं हे स्याम लागूं मैं तुम्हारे पांव
मीरा प्रभु ऐसी जानो दासी तुम्हारी है।।
इस कविता में मीराबाई अपने दिल की गहरी भावनाओं को व्यक्त कर रही हैं। वह कहती हैं कि "आली सांवरे की दृष्टि प्रेम की कटारी है," यानी भगवान की नज़र में जो प्रेम है, वह बहुत तीव्र और मारक है। उनका तन-मन प्रेम में डूबा हुआ है, मानो वह पूरी तरह से प्रेम की राधा बनी हुई हैं। वह अपनी सखियों से कहती हैं कि प्रेम में समर्पित और बावरी सी हो गई हैं। वह भगवान के प्रति अपनी पूर्ण श्रद्धा व्यक्त करती हैं, और कहती हैं कि जैसे चाँद चकोर को चाहता है, दीपक पतंग को चाहता है, वैसे ही मीन भी जल के बिना प्रेम में तड़पता है। मीरा अपने प्रभु से बिनती करती हैं कि वह हमेशा उनके पांवों में समर्पित रहेगी, और प्रभु को यह जानना चाहिए कि वह उनकी सच्ची दासी है। यहाँ मीरा का प्रेम और भक्ति पूरी तरह से समर्पित और अद्वितीय रूप से भगवान के प्रति है।
Meera १ घर आँगन न सुहावै २ सांवरे की दृष्टि मानो प्रेम की कटारी है Rajendra Tandon videos
