कान्हा तेरी गली से उठकर ना जाऊँगा

कान्हा तेरी गली से उठकर ना जाऊँगा

(मुखड़ा)
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा,
जितनी भी ज़िंदगी है,
जितनी भी ज़िंदगी है,
मैं यहीं बिताऊँगा,
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा।।


(अंतरा)
तेरे रंग में ना रंगेंगे,
जब तक ये नैना कान्हा,
मेरी आत्मा को तब तक,
ना मिलेगा चैन कान्हा,
ना मिलेगा चैन कान्हा,
जब तक तुझे ना खुद मैं,
माखन खिलाऊँगा,
जितनी भी ज़िंदगी है,
मैं यहीं बिताऊँगा,
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा।।

(अंतरा)
जितनी बची हैं साँसें,
इस तन में श्याम मेरे,
सौगंध तेरी मैंने,
लिख दी है नाम तेरे,
लिख दी है नाम तेरे,
तेरे नाम के सिवा ना,
कुछ और गाऊँगा,
जितनी भी ज़िंदगी है,
मैं यहीं बिताऊँगा,
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा।।

(अंतरा)
विश्वास मेरे दिल को,
ये चमत्कार होगा,
राधे का भी तेरे संग,
मुझको दीदार होगा,
मुझको दीदार होगा,
रोऊँगा तुझसे मिलके,
कभी मुस्कुराऊँगा,
जितनी भी ज़िंदगी है,
मैं यहीं बिताऊँगा,
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा।।

(पुनरावृत्ति)
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा,
जितनी भी ज़िंदगी है,
जितनी भी ज़िंदगी है,
मैं यहीं बिताऊँगा,
कान्हा तेरी गली से,
उठकर ना जाऊँगा।।

कान्हा तेरी गली से Kanha Teri Gali Se | Kumar Vishu | कृष्ण भजन | Kanha Ka Bhajan

Krishna Bhajan: Kanha Teri Gali Se
Singer: Kumar Vishu
Music Director: Ravi Chopra
Lyricist:  Ravi Chopra
Album: Kanha Teri Gali Se
 
प्रभु की गली में ठहर जाना ही जीवन का सबसे सुंदर संकल्प है। यह संकल्प केवल स्थान का नहीं, बल्कि उस प्रेम का है जो हर साँस को प्रभु के नाम से जोड़ देता है। जैसे कोई भक्त वृंदावन की गलियों में खोकर संसार को भूल जाता है, वैसे ही मन जब कान्हा के रंग में रंगने की ठान लेता है, तो वह हर बंधन से मुक्त हो जाता है। यह प्रेम आत्मा की वह प्यास है जो प्रभु के दर्शन और उनके प्रति समर्पण में ही तृप्त होती है।
 
प्रभु का नाम ही वह मंत्र है जो जीवन की हर साँस को पवित्र कर देता है। जब मन और आत्मा उनके नाम से भर जाते हैं, तो संसार की कोई और धुन सुनाई नहीं देती। यह समर्पण एक ऐसी सौगंध है जो भक्त को हर कदम पर प्रभु के करीब लाती है। उनका नाम गाते हुए, उनकी लीलाओं में खोते हुए, जीवन एक उत्सव बन जाता है, जहाँ दुख और सुख दोनों प्रभु की लीला का हिस्सा बन जाते हैं।
 

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