नींद से अब जाग बंदे,
राम में अब मन रमा,
निरगुना से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
हो गई है भोर कब से ज्ञान का सूरज उगा,
जा रही हर सांस बिरथा सांई सुमिरन में लगा,
नींद से अब जाग बंदे,
फिर न पायेगा तुं अवसर कर ले अपना तू भला,
स्वप्न के बंधन है झूठे मोह से मन को छुड़ा,
नींद से अब जाग बंदे,
धार ले सतनाम साथी बन्दगी करले जरा,
नैन जो उलटे कबीरा सांई तो सन्मुख खडा,
नींद से अब जाग बंदे,
राम में अब मन रमा,
निरगुना से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
हो गई है भोर कब से ज्ञान का सूरज उगा,
जा रही हर सांस बिरथा सांई सुमिरन में लगा,
नींद से अब जाग बंदे,
फिर न पायेगा तुं अवसर कर ले अपना तू भला,
स्वप्न के बंधन है झूठे मोह से मन को छुड़ा,
नींद से अब जाग बंदे,
धार ले सतनाम साथी बन्दगी करले जरा,
नैन जो उलटे कबीरा सांई तो सन्मुख खडा,
नींद से अब जाग बंदे,
Neend Se Ab Jaag Bande,
Raam Mein Ab Man Rama,
Niraguna Se Laag Bande,
Hai Vahee Paramaatma,
Ho Gaee Hai Bhor Kab Se Gyaan Ka Sooraj Uga,
Ja Rahee Har Saans Biratha Saanee Sumiran Mein Laga,
Neend Se Ab Jaag Bande,
Phir Na Paayega Tun Avasar Kar Le Apana Too Bhala,
Svapn Ke Bandhan Hai Jhoothe Moh Se Man Ko Chhuda,
Neend Se Ab Jaag Bande,
Dhaar Le Satanaam Saathee Bandagee Karale Jara,
Nain Jo Ulate Kabeera Saanee To Sanmukh Khada,
Neend Se Ab Jaag Bande,
Raam Mein Ab Man Rama,
Niraguna Se Laag Bande,
Hai Vahee Paramaatma,
Ho Gaee Hai Bhor Kab Se Gyaan Ka Sooraj Uga,
Ja Rahee Har Saans Biratha Saanee Sumiran Mein Laga,
Neend Se Ab Jaag Bande,
Phir Na Paayega Tun Avasar Kar Le Apana Too Bhala,
Svapn Ke Bandhan Hai Jhoothe Moh Se Man Ko Chhuda,
Neend Se Ab Jaag Bande,
Dhaar Le Satanaam Saathee Bandagee Karale Jara,
Nain Jo Ulate Kabeera Saanee To Sanmukh Khada,
Neend Se Ab Jaag Bande,
गीत का अर्थ
यह भजन कबीर साहेब की वाणी पर आधारित है। इस भजन में कबीर साहेब संसार के लोगों को सांसारिक मोह-माया से जागने और परमात्मा की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं। इस श्लोक में कबीर साहेब कहते हैं कि हे बंदे, अब नींद से जाग जाओ और अपने मन को राम में लगाओ। निरगुण ब्रह्म से प्रेम करो, क्योंकि वही परमात्मा है।कबीर साहेब कहते हैं कि ज्ञान का सूरज कब से उदय हो गया है, लेकिन तुम अभी भी सोए हुए हो। तुम्हारी हर सांस व्यर्थ जा रही है, इसलिए तुम सांई की सुमिरन में लग जाओ। इस श्लोक में कबीर साहेब कहते हैं कि तुम्हें फिर कभी ऐसा अवसर नहीं मिलेगा, इसलिए अपने जीवन को भला बनाओ। स्वप्न के बंधन हैं, इसलिए मोह से अपने मन को छुड़ाओ। इस श्लोक में कबीर साहेब कहते हैं कि ओ मेरे साथियों, सतनाम का स्मरण करो और थोड़ी-बहुत भक्ति करो। अगर तुम अपने नेत्र खोलोगे, तो तुम देखोगे कि सांई तुम्हारे सामने खड़ा है।
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