कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान । जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥ जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान । मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥ पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय । एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥
गारी ही सों ऊपजे, कलह कष्ट और मींच । हारि चले सो साधु है, लागि चले सो नींच ॥ कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और । हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान। जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान॥ कबीर कहते हैं कि सोने में समय न गवाएं, भगवान का भजन करें, क्योंकि मृत्यु के समय शरीर (म्यान) यहीं रह जाएगा।
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥ साधु की जाति न पूछें, बल्कि उनके ज्ञान को समझें। जैसे तलवार की कीमत होती है, म्यान की नहीं।
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय। एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय॥ जीवन में सारा समय काम और सोने में खर्च हो गया, भगवान का नाम लिए बिना मुक्ति नहीं मिलेगी।
गारी ही सों ऊपजे, कलह कष्ट और मींच। हारि चले सो साधु है, लागि चले सो नींच॥ गाली-गलौज से केवल झगड़ा और दुख होता है। जो शांतिपूर्वक हार मान ले, वही सच्चा साधु है; लड़ने वाला नीच है।
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और। हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर॥ कबीर कहते हैं, वे लोग अंधे हैं जो गुरु की महिमा नहीं समझते। भगवान रूठ जाएं तो गुरु सहारा हैं, लेकिन गुरु रूठे तो कोई सहारा नहीं।