आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
अपनी माया को बस
सांवरे जानता
होता कब किस पर खुश
जिसको ये मानता
आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
एक ओडिशा के थे
माधो जी श्याम भक्त
श्याम सेवा में इनका
गुजरता थे वक़्त
एक दिन श्याम सपने
में इनके आये
मेरा मंदिर बनवाओ
आके ये फरमाए
माधो जी ने सुनी
श्याम की वाणी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
बोले माधो जी कैसे
इसे पूरा करूँगा
चार इंट तुम रखो
बाकी में देख लूंगा
मूर्तिकार जो बनाये
मूर्ति खंडित हो जाये
हुआ परेशान वो
कैसे इसको बनाये
श्याम ने हर की दूर
ये परेशानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
श्याम सपने में आकर
बोले मूर्तिकार को
सफ़ेद पत्थर की जगह
तुम कला पत्थर लो
फिर बनी मूर्ति
बन के खाटू गयी
फिर चमत्कारी घटना
वहां पे हुयी
सुनो ये बाते
माधव जी की जुबानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
माधव जी मूर्ति को
लेकर श्याम कुंड गए
श्याम जल कुंड से
मूर्ति को वो नहलाये
जैसे मूर्ति लेकर
बढे मंदिर की और
पट नहीं खोलना
करो बात मेरी गौर
बाबा श्याम की हुयी थी
आकाशवाणी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
एक ओडिशा का भक्त
आया है मेरे पास
बस बुला दो चल दूंगा
मैं उस के साथ
जब खुला नहीं पट
ना हुआ श्याम दरश
सेवादार और माधो की
हो गयी बहस
गिरा माधो जी के आँख से पानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
खाटू से लौटकर
साथ मूर्ति लेकर
माधो अग्रवाल जी
आये भटली नगर
फिर बना भव्य मंदिर
हुआ भटली ये धाम
है विराजा यहाँ पर
मेरा बाबा श्याम
कुंदन ने लिख दी
पूरी ये कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
अपनी माया को बस
सांवरे जानता
होता कब किस पर खुश
जिसको ये मानता
आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
अपनी माया को बस
सांवरे जानता
होता कब किस पर खुश
जिसको ये मानता
आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
एक ओडिशा के थे
माधो जी श्याम भक्त
श्याम सेवा में इनका
गुजरता थे वक़्त
एक दिन श्याम सपने
में इनके आये
मेरा मंदिर बनवाओ
आके ये फरमाए
माधो जी ने सुनी
श्याम की वाणी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
बोले माधो जी कैसे
इसे पूरा करूँगा
चार इंट तुम रखो
बाकी में देख लूंगा
मूर्तिकार जो बनाये
मूर्ति खंडित हो जाये
हुआ परेशान वो
कैसे इसको बनाये
श्याम ने हर की दूर
ये परेशानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
श्याम सपने में आकर
बोले मूर्तिकार को
सफ़ेद पत्थर की जगह
तुम कला पत्थर लो
फिर बनी मूर्ति
बन के खाटू गयी
फिर चमत्कारी घटना
वहां पे हुयी
सुनो ये बाते
माधव जी की जुबानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
माधव जी मूर्ति को
लेकर श्याम कुंड गए
श्याम जल कुंड से
मूर्ति को वो नहलाये
जैसे मूर्ति लेकर
बढे मंदिर की और
पट नहीं खोलना
करो बात मेरी गौर
बाबा श्याम की हुयी थी
आकाशवाणी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
एक ओडिशा का भक्त
आया है मेरे पास
बस बुला दो चल दूंगा
मैं उस के साथ
जब खुला नहीं पट
ना हुआ श्याम दरश
सेवादार और माधो की
हो गयी बहस
गिरा माधो जी के आँख से पानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
खाटू से लौटकर
साथ मूर्ति लेकर
माधो अग्रवाल जी
आये भटली नगर
फिर बना भव्य मंदिर
हुआ भटली ये धाम
है विराजा यहाँ पर
मेरा बाबा श्याम
कुंदन ने लिख दी
पूरी ये कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
अपनी माया को बस
सांवरे जानता
होता कब किस पर खुश
जिसको ये मानता
आओ सुनाऊ श्याम की तुम्हे कहानी
कैसे विराजे भटली
शीश के दानी
ग्यारस स्पेशल पर एक सूंदर भजन || महिमा भटली धाम की || Kundan Akela New bhajan shri khatu shyam ji
BHAJAN : Mahima Bathli Dham KiSINGER : Kundan Akela 9415825464
LYRICS : Kundan Akela
MUSIC : Yogesh Bajaj 9812329290
DOP :
EDITOR :
LABEL : Jugni Series Bhajan
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Author - Saroj Jangir
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