संसार मुसाफिर खाना है (सोने वाले जाग जा ) भजन लिरिक्स राजन जी महाराज

संसार मुसाफिर खाना है (सोने वाले जाग जा ) लिरिक्स Sansar Musafir Khana Hai Bhajan

 
संसार मुसाफिर खाना है (सोने वाले जाग जा ) लिरिक्स Sansar Musafir Khana Hai Lyrics

किस धुन में बैठा बावरे
किस मद में मस्ताना है
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है
हरी बोल

क्या लेकर के आया था जग में
फिर क्या लेकर जाएगा
मुठी बांधे आया जग में
हाथ पसारे जाना है
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है

कोई आज गया कोई कल गया
कोई चंद रोज में जाएगा
जिसकी घर से निकल गया पंछी
उस घर में फिर नहीं आना है
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है
सूत मात पिता बांधव नारी
धन धान यही रह जायेगा
यह चंद रोज की यारी है
फिर अपना कौन बेगाना है
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है
कहे देवेंद्र हरी नाम जपो
फिर ऐसा समय ना आएगा
पाकर कंचन सी काया को
हाथ मसल पछताना है

सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है
 

Sansaar Musafir Khana Hai मनुष्य के जीवन की दर्द भरी सच्चाई Devendra Pathak Ji Ambey Bhakti

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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1 टिप्पणी

  1. Heat touching