मत कर तू अभिमान रे बंदे
जूठी तेरी शान रे
मत कर तू अभिमान
तेरे जैसे लाखों आये
लाखों इस माटी ने खाए
रहा ना नाम निशान रे बंदे
मत कर तू अभिमान
माया का अन्धकार निराला
बाहर उजला अन्दर काला
इस को तू पहचान रे बंदे
मत कर तू अभिमान
तेरे पास हैं हीरे मोती
मेरे मन मंदिर में ज्योति
कौन हुआ धनवान रे बंदे
मत कर तू अभिमान
MAT KAR TU ABHIMAAN BY ANUP JALOTA आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं