बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारों भजन लिरिक्स

Baal Samay Ravi Bhaksh Liyo Tab Tinahu Lok Bhayo Aadhiyaaro

 
बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारों लिरिक्स Baal Samay Ravi Bhaksh Liyo Tab Tinahu Lok Bhayo Aadhiyaaro Lyrics

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।

देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ।

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महामुनि साप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ।

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ।

रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मरो ।

चाहत सीय असोक सों आगि सु ,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ।

बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सूत रावन मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।

आनि सजीवन हाथ दिए तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ।

रावन जुध अजान कियो तब ,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो ।

आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ।

बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।

जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ।

काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो ।
दोहा
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर ।।


 

बाल समय रवि भक्षी लियो | Hanuman Ashtak | Bal Samay Ravi Bhaksh Liyo | Hanuman Bhajan

 
हनुमान चालीसा लिरिक्स हिंदी
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
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चौपाई
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सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसाहोय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
 
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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