भजन मत भूलो एक घड़ी,
शबद मत भूलो एक घड़ी,
काया पूतलो पल में जासी,
सिर पर मौत खड़ी,
भजन मत भूलो एक घड़ी,शबद मत भूलो एक घड़ी।
इण काया में लाल अमोलक,
आगे करम कड़ी
भँवर जाल में सब जीव सून्या,
बिरला ने जाण पड़ी
भजन मत भूलो एक घड़ी,
शबद मत भूलो एक घड़ी।
इण काया में दस दरवाजा,
ऊपर खिड़क जड़ी
गुरु गम कूँची से खोलो किवाड़ी,
अधर धर हैं जड़ी
भजन मत भूलो एक घड़ी,
शबद मत भूलो एक घड़ी।
सत की राड़ लड़ै सतसूरा,
चढ़िया बंक घाटी
गगन मण्डल में भरिया भंडारा,
तन का पाप कटी
भजन मत भूलो एक घड़ी,
शबद मत भूलो एक घड़ी।
अखै नाम नै तोलण लाग्या,
तोलिया घड़ी घड़ी
अमृतनाथजी अमर घर पुग्या,
सत की राड़ लड़ी
भजन मत भूलो एक घड़ी,
शबद मत भूलो एक घड़ी।
bhajan mat bhulo ek ghadi ratinath ji maharaj
Bhajan Mat Bhulo Ek Ghadi Shabad Mat Bhulo Ek Ghadi
Kaaya Putalo Pal Mein Jaasi Sir Par Maut Khadiआपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं