Amar Chundari Odhu
मीरा जन्मी मेड़ते वा परणाई चितौड़,
राम भजन प्रताप सूं वा सकल श्रृष्टि सिरमोडी
सकल सृष्टि सिरमोडी जगत में सारा जाणी
जिनकी रीत सगराम कहे तो हे बैकुण्ठा ठौर।
मीरा जन्मी मेड़ते वा परणाई चितौड़,
धरती माता वालो पेरू रे घाघरों,
अमर चुंदड़ी ओढूँ,
में तो संतो री भेळी रेवूं,
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
चंदा रे सूरज म्हारे अंगडे लगायू
में तो झरनों रो झांझर पेनू
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
ज्ञानी ध्यानी बगल में राखू
हड़मान रो कांकन पैहरु,
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
में आदि पुरुष री चेली जी
नवललखा म्हारे अंग लगाउ
में तो झरनों रो झांझर पेनू
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
धरती माता वालो पेरू रे घाघरो
अमर चुंदड़ी ओढू
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
पारस ने सरहद कर राखू
मैं तो डूंगर दोढी में खेलू
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
नवकारी नाग म्हारी चोट मैं भन्दाउ
जद म्हारो माथो गुथाऊ
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
में आदि पुरुष री चेली जी
दोई कर जोड्या मीरा बोले
मैं तो गुण गोविन्द रा गाउँ
में तो संतो री भेळी रेवू
मैं तो बाबा रे भेळी रेवू
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
Me Amar Chundadi Odhu - Prakash Mali का राजस्थान का सदा बहार भजन जिसको हर कोई सुनना पसंद करता है!
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