भोले से जो प्रीत बढ़ाये सदा ही सुख पाये

भोले से जो प्रीत बढ़ाये सदा ही सुख पाये

 
भोले से जो प्रीत बढ़ाये सदा ही सुख पाये लिरिक्स Bhole Se Jo Preet Badhaye Sada Hi Sukh Paye Lyrics

भोले से जो प्रीत बढ़ाये
सदा ही सुख पाये
के पग पग राह दिखाये
बाबा का प्यार दुलार

भोले की है महिमा पार
पूज रहा इन्हे संसार
जो भी गुण गाये
करे जय जय कार
चरणों की सेवा पाये
सदा ही मुस्काये,
के पग पग राह दिखाये
बाबा का प्यार दुलार


जिसके भी है मन में लगन
करता है सदा जो सुमिरण,
हिरध्ये में रहते है बाबा हरदम
जो भोले की ज्योत जगाये
प्रभु की किरपा पाये,
के पग पग राह दिखाये
बाबा का प्यार दुलार

साँसों के अपने ये तार
बाबा से जो होता भव पार
भगतो की अर्जी
बाबा से बारम बार,
वो हम पे प्यार लुटाये
और दर्श दिखाये
के पग पग राह दिखाये
बाबा का प्यार दुलार



Bhole Se Jo Prit Lagaye Sada Hi Sukh Paye || Vijay Soni || Bhootnath Bhajan Mala 2018

जो भगवान गणेश के चरणों की सेवा करता है, उसे जीवन में अनंत प्रसन्नता और मुस्कान मिलती है। मन में जो श्रद्धा और सुमिरन होती है, वह भक्त को सभी बाधाओं से ऊपर उठने की शक्ति प्रदान करती है। सांसों का संबंध भगवान से जुड़कर, भक्त के जीवन में भय मिटता है और वह बार-बार गणेश जी की कृपा और मार्गदर्शन की प्रार्थना करता है। इस प्रकार, यह भजन भगवान गणेश की असीम करुणा, अनुकम्पा और भक्तों के प्रति उनके प्यार की अभिव्यक्ति है जो जीवन को पूर्ण सफल और सुखमय बनाती है.​
 
Title :- Bhole Se Jo Prit Lagaye Sada Hi Sukh Paye
Singer :-Vijay Soni
Lyrics :- Brijratan Daga, Sunil Gupta, Ravi Kejarwal,Shyam And Sakliv
Tune :-Traditional
Music Arranger :- Deepankar
Audio Recording Studio :- JMD Sounds kolkata16 
 
भगवान शिव को लोग अलग-अलग नामों से पुकारते हैं — कोई उन्हें भोले भंडारी कहता है, कोई शंभु, तो कोई शंकर। इन नामों में सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व की गहराई और अनंत लीलाओं का सार छिपा है। हर नाम अपने भीतर शिव के किसी अद्भुत रूप की झलक लिए हुए है।

‘भोले भंडारी’ नाम सुनते ही मन में उस दयालु और सरल स्वरूप की छवि उभरती है, जो अपने भक्तों पर बिना किसी भेदभाव के कृपा बरसाते हैं। वे इतने भोले हैं कि मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। न उन्हें महंगे आभूषण चाहिए, न भव्य पूजा। बस सच्चे मन से किया गया एक भावपूर्ण प्रणाम ही उनके लिए पर्याप्त है। इसलिए तो उन्हें “भोलेनाथ” कहा जाता है — जो भक्ति के भाव को तुरंत स्वीकार कर लेते हैं और अपने भक्तों के भंडार भर देते हैं।

‘शंभु’ नाम का अर्थ है – आनंद का निवास, सुख देने वाला। यह नाम भगवान शिव के उस रूप को दर्शाता है, जो अपने भक्तों के दुखों को हरकर उन्हें सच्चा सुख और शांति प्रदान करते हैं। शिव के ध्यान में बैठते ही मन शांत हो जाता है, मानो भीतर का तूफ़ान थम गया हो। वे केवल भय का नाशक नहीं, बल्कि मन को संतुलन देने वाले भी हैं। जो उन्हें स्मरण करता है, उसके भीतर एक गहरा सुकून उतर आता है।

‘शंकर’ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘शम्’ अर्थात शुभ या कल्याण, और ‘कर’ अर्थात करने वाला। यानी “शंकर” वह हैं जो समस्त सृष्टि का कल्याण करते हैं। वे नकारात्मकता का विनाश कर दुनिया में सकारात्मकता और मंगल का प्रकाश फैलाते हैं। जब वे तांडव करते हैं, तो वह केवल विनाश नहीं होता — वह नवसृजन की शुरुआत भी होता है।

इन तीनों नामों में भगवान शिव की संपूर्ण लीला समाई है — उनकी करुणा, सादगी, और जगत के प्रति अपार प्रेम। वे तपस्वी भी हैं और दयामूर्ति भी। वे भस्म रमाने वाले योगी हैं, परंतु साथ ही हर उस भक्त के पिता भी, जो सच्चे मन से उन्हें पुकारता है।

भगवान शिव हमें सिखाते हैं कि सादगी में भी शक्ति है, और त्याग में भी आनंद है। वे हमें यह भाव देते हैं कि जो भीतर से निर्मल है, वही सच्चे सुख का अनुभव कर सकता है। 
 
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