वे शिव ही थे जो शिव में लीन थे

वे शिव ही थे जो शिव में लीन थे

मैं खोजता था एक अनोखा साधु,  
राह में मिले मुझे दिन हीन से,  
मैं सुनता गया जीवन गाथा उनसे,  
वे शिव ही थे जो शिव में लीन थे।

भस्म लपेटे धूनी रमाए,
नेत्रों में जलती थी ज्वाला,  
ना कोई श्वास ना गति थी तन में,  
फिर भी गूंजता शिव का नाद निराला।  

मैंने पूछा कौन हो बाबा,
हंसकर बोले हूं शमशान का दीप,
भ्रम के जंगल में जलता रहता,  
पर सत्य को दे जाता स्वर अतीत।

मैं खोजता था एक अनोखा साधु,  
राह में मिले मुझे दिन हीन से,
मैं सुनता गया जीवन गाथा उनसे,
वे शिव ही थे जो शिव में लीन थे।  

उन्होंने दिखाया नश्वर ये तन,  
आत्मा अजर शिव ही जीवन,
बस शिव ही शिव मैं शून्य अचल,  
अब ना कोई प्रश्न ना कोई द्वंद्व।  

अब मैं नहीं केवल शिव ही शेष,  
शब्द बचे ना ना कोई संदेश,  
बस एक नाद एक शून्य प्रकाश,  
अब मैं नहीं बस शिव का वास।

मैं खोजता था एक अनोखा साधु,  
राह में मिले मुझे दिन हीन से,
मैं सुनता गया जीवन गाथा उनसे,  
वे शिव ही थे जो शिव में लीन थे।

भगवान शिव की अद्भुत तल्लीनता और संन्यास भाव को दर्शाता है। साधक जो शिव को खोजता है उसे एक अनोखे साधु के रूप में शिव से साक्षात्कार होता है। वह साधु कोई और नहीं बल्कि स्वयं महादेव हैं। जो श्मशान का दीपक बनकर माया से परे और सत्य में विलीन होकर विराजमान हैं। शिव को कोई आडंबर या बाहरी पूजा-पाठ नहीं चाहिए, वे सिर्फ सच्ची श्रद्धा में रमे रहते हैं। शिव को पाने के लिए भौतिक सुखों को त्यागकर आत्मा को शिव में विलीन करना आवश्यक है। यह संसार नश्वर है, परंतु शिव शाश्वत हैं। हम स्वयं को सिर्फ शिव ही शिव के रूप में अनुभव करते हैं। जय शिव शक्ति।


वे शिव ही थे जो शिव में लीन थे महादेव भजन 2024 | Bholenath Bhajan | Om Namah Shivaya | Shiva Song

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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