बोलै नारी सुणो पियाजी,
मानो म्हारी बात
द्वारका थे जाओ।
जावो पिया थे जावो
मोल उधारो मिलै नहीं पिव,
मुश्किल दाणै दाणै की।
दोय वक्त में एक वक्त
थारै बिद लागै है खाणै की
हाँ मीठी निकलै भूख पिया,
थारा दुर्बल हो गया गात
द्वारका थे जाओ
बोलै नारी सुणो पियाजी, मानो म्हारी बात
द्वारका थे जाओ।
आन गरीबी आ घेरी,
बरतण ना फूटी कौड़ी।
तन का वस्त्र फाट गया
पिया फाटेड़ी चादर ओडी
सियां मरता फिरो, रात,
दिन दे काखां मँ हाथ
द्वारका थे जाओ
जाकर भेंट करो प्रभु से पिव
मन में काँई आँट करो
अपने दिल की बात
प्रभु ने कहता काँई आँट करो
हाँ, सारी बातां सामर्थ है
म्हारा देवर है बृजनाथ
द्वारका थे जाओ
मोहन कहे मत भूलोहरी न
याद करो च्यार घड़ी।
लख चौरासी फेर आई,
या चौपड़ गन्दैस्यार पडी
मोहन कहे या रीत प्रभु की
दे दुर्बल का साथ
द्वारका थे जाओ
Bol Nari Suno Piyaji By Ratinath Baboji (बोल नारी सुनो पियाजी मानो मारी बात )
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Author - Saroj Jangir
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