हो घोड़े असवार भरथरी बियाबान में भटक्या लिरिक्स हिंदी Ho Ghode Aswar Bharathari Biyaban Me Bhatkya Lyrics
हो घोड़े असवार भरथरी बियाबान में भटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा,देख भरथरी अटक्या
घोड़े पर से तुरत कूद कर, चरणां शीश नवाया
चरणां शीश नवाया
आर्शीवाद देह साधू ने, आसन पर बैठाया
बडे प्रेम सँ जाय कुटी मँ, एक अमर फल ल्याया
एक अमर फल ल्याया
इस फल को तू खाले राजा, अमर हो ज्यासी काया
राजा नै ले लिया अमर फल, तुरत जेव मँ पटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
राजी होकर चल्या भरथरी, रंग महल मँ आया
राणी को जा दिया अमरफल, गुण उसका बतलाया
निरभागण राणी नै भी वो नहीं अमर फल खाया
चाकर सँ था प्रेम महोबत उसको जा बतलाया
प्रेमी रै मन प्रेमी बसता, प्रेम जिगर मँ खटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
उसी शहर की गणिका सेती, थी चाकर की यारी
उसको जाकर दिया अमरफल थी राणी सँ प्यारी
अमर होयकर क्या करणा है, गणिका बात बिचारी
राजा को जा दिया अमरफल,इस को खा तपधारी
राजा नै पहचान लिया है, होठ भूप का छिटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
क्रोधित होकर राज बोल्या, ये फल कित सँ ल्याई
गणित सोच्या ज्यान का खतरा, साँची बात बताई
चाकर दीन्या भेद खोल, जद होणै लगी पिटाई
हरिनारायण शर्मा कहता, बात समझ में आई
उपज्जा ज्ञान भरथरी को जद, बण बैरागी भटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा,देख भरथरी अटक्या
घोड़े पर से तुरत कूद कर, चरणां शीश नवाया
चरणां शीश नवाया
आर्शीवाद देह साधू ने, आसन पर बैठाया
बडे प्रेम सँ जाय कुटी मँ, एक अमर फल ल्याया
एक अमर फल ल्याया
इस फल को तू खाले राजा, अमर हो ज्यासी काया
राजा नै ले लिया अमर फल, तुरत जेव मँ पटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
राजी होकर चल्या भरथरी, रंग महल मँ आया
राणी को जा दिया अमरफल, गुण उसका बतलाया
निरभागण राणी नै भी वो नहीं अमर फल खाया
चाकर सँ था प्रेम महोबत उसको जा बतलाया
प्रेमी रै मन प्रेमी बसता, प्रेम जिगर मँ खटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
उसी शहर की गणिका सेती, थी चाकर की यारी
उसको जाकर दिया अमरफल थी राणी सँ प्यारी
अमर होयकर क्या करणा है, गणिका बात बिचारी
राजा को जा दिया अमरफल,इस को खा तपधारी
राजा नै पहचान लिया है, होठ भूप का छिटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
क्रोधित होकर राज बोल्या, ये फल कित सँ ल्याई
गणित सोच्या ज्यान का खतरा, साँची बात बताई
चाकर दीन्या भेद खोल, जद होणै लगी पिटाई
हरिनारायण शर्मा कहता, बात समझ में आई
उपज्जा ज्ञान भरथरी को जद, बण बैरागी भटक्या
बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- जो विधि कर्म में लिखा विधाता लिरिक्स Jo Vidhi Karm Me Likha Lyrics
- भजना मे जावा कोनी दे भजन लिरिक्स Bhajana Me Jaba Koni De Lyrics
- राम मेरे घर आना भजन लिरिक्स Raam Mere Ghar Aana Lyrics Prakash Mali
- माँ बापा की सेवा करले मत बण दास लुगाई को लिरिक्स Maa Baap Ki Seva Kar Le Lyrics
- जग में साँचा रे राम सजाई लिरिक्स Jag Me Sancha Re Ram Sajai Lyrics
- बालाजी थे तो पर्वत जाई ज्यो सा लिरिक्स Balaji The To Parvat Jaijyo Sa Lyrics