जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई

जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई कृष्णा भजन

 
जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई Janmashtmi Aayi Teri Jay Ho Kanhaayi Lyrics

झूम उठा जग सारा ऐसी खुशिया छायी
तूने मुरली वाले ऐसी धुन है बजायी
जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई
संकट में थे मात पिता
बिजली कड़क रही थी
आधी रात को देवकी मैया
दर्द से तड़प रही थी
हुआ करिश्मा कान्हा
की गूंजे किलकारी
जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई

गाये ग्वाले मोर निराले
सब हैं तुझको प्यारे
जहाँ भी जाए पीछे पीछे
गोपिया घेरा डारे
माखन खायो मटकी तोड़ दी
जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई

खेल खेल में काले नाग को
ऐसा सबक सिखाया
बालकपन में ही तुमने
पूतना को मार गिराया
चरण सुदामा के धो कर के
प्रीत निभाई
जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई

मथुरा में तेरा जन्म हुआ
गोकुल में तुझे पाला
कंस को मार के तुमने
सबका दुःख है तारा
कहे राज तेरे मुख में सारी
दुनिया समायी
जन्माष्टमी आयी तेरी जय हो कन्हाई



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कृष्ण जन्माष्ट्मी महोत्सव पर स्पेशल सुन्दर भजन || AKANSHA MITTAL & RAKESH KUMAR  BHAJAN : कृष्ण जन्माष्ट्मी महोत्सव पर स्पेशल सुन्दर भजन
 
श्रीकृष्णजी के जन्म की खुशी सारे जग को झूमने पर मजबूर कर देती है। उनकी मुरली की मधुर धुन मन को मोह लेती है, जैसे हर दिल में प्रेम और आनंद भर दे। जन्माष्टमी का उत्सव उनके आने की याद दिलाता है, जब अंधेरी रात में बिजली की कड़क और माता देवकी की पीड़ा के बीच एक चमत्कार हुआ। उनकी किलकारी ने हर डर को दूर कर दिया। गोकुल में ग्वालों और गोपियों के बीच श्रीकृष्णजी का बचपन प्रेम और शरारत से भरा था। माखन की चोरी, मटकी तोड़ना—ये सब उनकी लीलाएं थीं, जो हर किसी को अपना बना लेती थीं। उनकी हर हरकत में बस प्यार झलकता था।

बालपन में ही उन्होंने कालिया नाग को सबक सिखाया और पूतना जैसे दानवों का अंत किया। उनकी शक्ति और बुद्धि हर मुश्किल को आसान कर देती थी। सुदामा के प्रति उनकी सच्ची मित्रता दिखाती है कि प्रेम में छोटा-बड़ा नहीं होता। 

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